यों हुआ घटनाक्रम पीहर खेडिय़ा गांव से लाई गई मृतका के पिता श्यामलाल पुत्र राजेंग गरासिया ने मोर्चरी के बाहर पूछताछ में बताया कि 22 वर्षीया शीतल उसकी छह बच्चों में तीसरे नंबर की संतान थी। पेशे से डंपर चालक गरासिया ने बताया कि गुजरात में मजदूरी करते करीब दस माह पहले वह पाड़ला निवासी शैलेश मईड़ा के साथ हो गई। फिर भांजगड़ा और समझौता हो गया तो नातरा मान लिया गया। फिर शीतल और शैलेश अहमदाबाद जाकर मजदूरी करते रहे। करीब छह माह पहले शैलेश ने शीतल की बेतुकी हरकतों के बारे में बताया।
https://www.patrika.com/news-bulletin/cricket-competition-banswara-out-of-the-competition-despite-great-victory-and-performance-19016544फिर गर्भवती भी हुई, तो वहां किसी से इलाज भी कराया पर तबीयत में सुधार नहीं हआ। दिमागी हालत ज्यादा खराब हुई, तो करीब तेरह दिन पहले शीतल खेडिय़ा लाई गई। डॉक्टर को दिखाया पर फर्क नहीं पड़ा। तब गांव के ही भोपे के पास ले गए। काबू में नहीं रह पाने पर उसे जंजीरों से बांधना पड़ा। बुधवार सुबह वह बेहोश हो गई तो ताम्बेसरास्वास्थ केंद्र और फिर सज्जनगढ़ ले गए। वहां से रैफर करने पर बांसवाड़ा लाना पड़ा।
बेसुध थी, सात ग्राम ही था हिमोग्लोबिन यहां एमसीएच विंग में सुबह करीब दस बजे लाने के बाद प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन शर्मा ने जांचें करवाकर उपचार शुरू किया। डॉ. शर्मा के अनुसार शीतल बेहोश थी। वह जंजीरों से बंधी होने पर आश्चर्य हुआ। एनिमिया से ग्रसित होने के कारण उसका हिमोग्लोबिन सात ग्राम ही था। करीब दस दिन पहले वह बांसवाड़ा लाई गई थी। इससे शीतल के केस की पहले से जानकारी थी। तब फिजिशियन ने जांच कर भर्ती किया, लेकिन परिजन बिना बताए अचानक उसे यहां से ले गए। उसके बाद बुधवार को लाई गई। रक्तअल्पता पर ब्लड बैंक से इंतजाम भी किया, लेकिन दोपहर बाद करीब ढाई बजे उसकी मृत्यु हो गई। इसकी सूचना विभागाध्यक्ष डॉ. पीसी यादव को दी। इसके बाद पुलिस कार्रवाई हुई।