scriptDU प्रोफेसर को हाईकोर्ट से झटका, शिवलिंग को लेकर सोशल मीडिया पर डाली थी विवादित पोस्ट | DU professor gets shock from Delhi High Court controversial post on social media regarding Shivalinga in Gyanvapi Varanasi | Patrika News
नई दिल्ली

DU प्रोफेसर को हाईकोर्ट से झटका, शिवलिंग को लेकर सोशल मीडिया पर डाली थी विवादित पोस्ट

Delhi High Court: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग की मौजूदगी को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट डाली थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अपराध माना है। इसके साथ ही डीयू के प्रोफेसर की याचिका खारिज कर दी।

नई दिल्लीDec 21, 2024 / 07:04 pm

Vishnu Bajpai

Delhi High Court: DU प्रोफेसर को हाईकोर्ट से झटका, शिवलिंग को लेकर सोशल मीडिया पर डाली थी विवादित पोस्ट
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. रतन लाल के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद करने से इनकार कर दिया। यह मुकदमा हाल ही में सोशल मीडिया ‘X’ पर शिवलिंग को लेकर किए गए एक विवादित पोस्ट को लेकर दर्ज किया गया था। इस पोस्ट में प्रोफेसर ने दावा किया था कि यह शिवलिंग वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में पाया गया है।

पहले जानिए क्या है पूरा मामला?

पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. रतन लाल की उस याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर शिवलिंग को लेकर डाली गई विवादित पोस्ट को अपराध मानने से इनकार किया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. रतन लाल ने सोशल मीडिया ‘X’ पर एक पोस्ट डाली थी। इसमें उन्होंने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किया था। साथ ही शिवलिंग को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद पुलिस ने मई में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 295ए के तहत मुकदमा दर्ज किया था। डीयू के सहायक प्रोफेसर ने इसी मुकदमे को रद कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।

कोर्ट ने कहा-धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली पोस्ट

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर प्रोफेसर की ओर से डाली गई पोस्ट में कहा गया था “यदि यह शिवलिंग है तो लगता है शायद शिव जी का भी खतना कर दिया गया था।” दिल्ली हाईकोर्ट ने डॉ. रतन लाल बनाम दिल्ली सरकार एवं अन्य के मुकदमे को रद करने वाले मामले की सुनवाई करते हुए याचिका रद कर दी। इस दौरान जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा “सहायक प्रोफेसर की टिप्पणी प्रथम दृष्टया धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सार्वजनिक शांति को भंग करने की मंशा को दिखाती है। अदालत का मानना ​​है कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता ने समाज के सौहार्द को बिगाड़ने का काम किया है।”
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किसी को भी ऐसी टिप्पणी करने का अधिकार नहीं

जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने आगे कहा “सोशल मीडिया पर यह पोस्ट समाज के एक बड़े हिस्से की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया था। किसी भी व्यक्ति को इस तरह की टिप्पणी, ट्वीट या पोस्ट करने का अधिकार नहीं है। भले ही वह प्रोफेसर हो या बुद्धिजीवी ही क्यों ना करे। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है। याचिकाकर्ता की टिप्पणी भगवान शिव के उपासकों की मान्यताओं के विपरीत है।” यह फैसला 17 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया था।

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