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इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अस्पतालों को 11 मार्च तक किसी भी अज्ञात शव का समापन नहीं करने का निर्देश दिया। साथ ही अधिकारियों को सभी मृतकों के डीएनए नमूने सुरक्षित रखने को कहा गया है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति आई. एस. मेहता ने यह फैसला सुनाया है।
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पीठ लापता लोगों से संबंधित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें एक हमजा नामक व्यक्ति भी शामिल है। हमजा के बहनोई अंसारी एम. आरिफ राष्ट्रीय राजधानी के पूर्वोत्तर इलाके में 23 फरवरी को हुई हिंसा के दौरान हमजा के लापता होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंचे थे। हिंसा में मरने वालों की संख्या 53 तक पहुंच चुकी है।
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इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर सरकारी मुर्दाघरों में रखे गए सभी अज्ञात शवों की तस्वीरों सहित उनकी तमाम जानकारी प्रकाशित करे। इसके साथ ही अदालत ने पुलिस को आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्टमार्टम और डीएनए नमूनों सहित विशिष्ट जानकारी प्रकाशित करने का भी आदेश दिया है।