इन्हीं तैयारियों में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण कदम गुरुवार का रहा जब, चारों मुजरिमों को एक ही जेल में ले जाकर बंद कर दिया गया।
तिहाड़ की यह वही तीन नंबर जेल है जिसमें फांसी-घर मौजूद है। मतलब तिहाड़ परिसर में मौजूद अलग-अलग जेलों से हटाकर इन चारों मुजरिम पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा को फांसी घर से चंद फर्लांग की दूरी पर ले जाकर बंद कर दिया गया है।
जेल नंबर तीन में एक साथ बंद किये जाने का मतलब यह नहीं है कि, ये चारों अब एक दूसरे के बेहद करीब पहुंच गये हों। इनकी जेल नंबर तो तीन ही है।
मगर जेल नंबर तीन में भी इनकी बैरक-वार्ड-सेल अलग-अलग हैं।
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एक ही जेल की अलग अलग बैरक में बंद होने के बाद भी इन सबको एक दूसरे की शक्ल तक देखने को नहीं मिलेगी।
अगर सब कुछ पूर्व निर्धारित तारीख के हिसाब से ही रहा तो, अब ये चारों मुजरिम सिर्फ और सिर्फ फांसी घर में फांसी के फंदों के नीचे खड़े होकर ही मिल पायेंगे।
वहां भी मगर एक दूसरे के बेहद करीब पहुंचने/ खड़े होने के बाद भी इन चारों में से कोई किसी को देख पाने की हालत में नहीं होगा।
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इसकी भी वजह है। इनकी काल-कोठिरियों से फांसी लगाने को ले जाते वक्त इनके चेहरे काले कपड़े से ढंक दिये जायेंगे।
पांवों में बेड़ियां और पीछे की ओर मोड़कर हाथों में हथकड़ियां पड़ी होंगी। तिहाड़ जेल महानिदेशालय सूत्रों के मुताबिक, ‘चारों को चूंकि एक ही समय पर फांसी के तख्ते पर ले जाकर खड़ा करना है।
एक साथ ही काल-कोठरियों से फांसी घर तक पहुंचाने के लिए निकालना होगा। मगर उस वक्त बेहद सतर्कता और शांति बरती जायेगी।
ताकि किसी भी मुजरिम के फांसी घर में पहुंचने की आहट या भनक किसी दूसरे तक न पहुंचने पाये।
इसके पीछे प्रमुख वजह होगी, ऐन वक्त पर एक साथ होते ही कहीं ये चारों कोई बखेड़ा न खड़ा कर दें।’
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हांलांकि एक साथ चूंकि तिहाड़ जेल के फांसी घर में चार-चार मुजरिमों को पहली बार फांसी लग रही है। इसलिए यह भी पहला मौका होगा जब, तिहाड़ जेल के फांसी घर में जेल अधिकारी- कर्मचारियों, तमिलनाडू स्पेशल पुलिस के हथियारबंद जवानों की तादाद भी कहीं ज्यादा होगी।
मतलब फांसी घर में होगी तो शमशान सी शांति, मगर भीड़ इससे पहले लगाई गयी फांसी के मौकों से कहीं ज्यादा होगी।