अब्दुल करीम टुंडा पर हरियाणा के सोनीपत में 1996 में हुए 2 बम धमाकों का आरोप लगा था। 2013 में गिरफ्तारी के बाद टुंडा पर इस मामले में सोनीपत की जिला अदालत में केस चला। अदालत में टुंडा के खिलाफ 4 लोगों ने गवाही दी। आपको बता दें कि अब्दुल करीम टुंडा पर सोनीपत में 28 दिसंबर, 1996 को हुए बम धमाकों का आरोपी था। ये बम धमाके बस स्टैंड के पास स्थित तराना सिनेमा के पास हुआ था, जबकि दूसरा धमाका दस मिनट बाद गीता भवन चौक पर गुलशन मिष्ठान भंडार के पास हुआ था। इन धमाकों में करीब 1 दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
पुलिस ने इस संबंध में गाजियाबाद निवासी अब्दुल करीम टुंडा और उसके दो साथियों अशोक नगर पिलखुआ निवासी शकील अहमद और अनार वाली गली तेलीवाड़ा, दिल्ली निवासी मोहम्मद आमिर खान उर्फ कामरान को नामजद किया था। पुलिस ने शकील और कामरान को वर्ष 1998 में गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन टुंडा घटना के बाद से लंबे वक्त तक फरार रहा था।
आपको बता दें कि इससे पहले मार्च 2015 में दिल्ली की एक कोर्ट ने टुंडा को साल 1994 में टाडा कानून के तहत दर्ज एक मामले में आरोपमुक्त कर दिया। 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकवादियों को उसे सौंपने के लिए कहा था, उसमें टुंडा भी शामिल था।
दिल्ली के दरियागंज इलाके में जन्म करीम टुंडा पिलखुवा में आठवीं क्लास तक पढ़ा था। इसके बाद वह अपने चाचा के पास मेरठ गया इस आस से कि पढ़ाई फिर शुरू हो सके, लेकिन यहां उसे काम में लगा दिया गया. उसकी मां को जब पता चला तो उन्होंने वापस पिलखुवा बुला लिया।
अयोध्या में बाबवी विध्वंस से पहले टुंडा पाकिस्तान गया था। वहां उसकी मुलाकात अपनी बीवी के भाई गयासुद्दीन से हुई थी, जिसने उसकी मुलाकात लश्कर ए तएबा के मुखिया कुख्यात आतंकवादी हाफिज सईद से कराई थी। इसके बाद टुंडा ने यूपी से जाकर मक्का में सैटल हुए एक मौलवी सफी उर रहमान ने मदद की, जिसके बाद 1993 में टुंडा सईद से फिर मिला और हिंदुस्तान में दहशतगर्दी के लिए सपोर्ट की मांग की।