एक अंग्रेजी अखबार ने हिमांशु रॉय की खुदकुशी पर अपनी रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक सुपरकॉप ने कैंसर की वजह से खुदकुशी नहीं की थी। ये बात खुद उस डॉक्टर ने कही है जो हिमांशु रॉय का इलाज कर रहे थे। नासिक के डॉक्टर राज नागरकर ने दावा किया है कि 30 अप्रेल को ही हिमांशु रॉय का PTE स्कैन हुआ था। इसमें कैंसर का कोई भी अंश नहीं मिला था। डॉक्टर नागरकर का दावा है कि रॉय की बीमारी पहले ही ठीक हो चुकी थी, इसलिए ये कहना ठीक नहीं है कि उन्होंने कैंसर से परेशान होकर खुदकुशी की है।
हिमांशु रॉय: ऐसे पहले सुपरकॉप, जिसे सरकार ने दे रखी थी जेड प्लस सिक्योरिटी
‘बीमारी ठीक होने से खुश थे रॉय’रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर नागरकर ने कहा है कि जब पीटीई स्कैन में कैंसर का कोई अंश नहीं मिला तो इससे हिमांशु रॉय बहुत खुश थे। यहां तक की उन्हों ने ये भी पूछा था मैं दोबारा काम पर कब लौट सकता हूं। इससे ये साफ है कि एक तेज तर्रार अफसर खत्म हो चुकी बीमारी की वजह से मौत को गले नहीं लगा सकता है।
कैंसर खत्म होने से सुपरकॉप हिमांशु रॉय इतने खुश थे कि वो अब कैंसर के मरीजों को जिने के लिए मोटिवेट करना चाहते थे। डॉक्टर का कहना है कि रॉय ने तीन सप्ताह पहले उनसे बातचीत के दौरान बताया था कि वो एक ओपन फोरम में कैंसर के मरीजों से बात करना चाहते हैं।
डॉक्टर राज नागरकर ने कहा कि जब शुक्रवार की दोपहर में उन्हें हिमांशु रॉय की खुदकुशी की खबर सुनी तो उन्हें इसपर यकीन ही नहीं हुआ। उन्होंने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि अपनी जिंदगी में इतना खुश रहने वाला इंसान कैंसर के चलते खुदकुशी करेगा।
वहीं दूसरी ओर हिमांशु रॉय की मौत के बाद मुंबई पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुपरकॉप ने सुसाइड नोट मिलने की बात कही थी। जिसमें लिखा है कि वो पिछले दो साल से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे हैं। इस वजह से उन्होंने आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठाया है। हिमांशु रॉय को पहले से अंदेशा था कि उनकी मौत पर पूरे देश में हड़कंप मच जाएया। जिसके बाद उनके परिवार से कई तरह के सवाल हो सकते हैं। शायद इसी वजह से उन्होंने नोट में अनुरोध किया है कि उनकी मौत के बाद मीडिया और पुलिस के लोग उनके परिवार को परेशान न करें। एक पेज से सुसाइड नोट के आखिरी में हिमांशु रॉय का हस्ताक्षर भी हैं।