SC/ST Act से घबराने की जरूरत नहीं, हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद कोई झूठे केस में नहीं फंसा पाएगा
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि 1996 में सेना के इंजीनियरिंग सेवा में कार्यकरत एक पिता के खिलाफ उनकी बेटी ने 1991 से लगातार रेप का आरोप लगाया। तब उस वक्त वे जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में रहते थे। फिर इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी पिता को दोषी करार देते हुए 10 वर्ष की जेल की सजा सुनाई। लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्राइल कोर्ट के फैसले को गलत करार देते हुए आरोपी पिता को बरी कर दिया। अदालत ने ट्राइल कोर्ट को फटकार लगाई कि केस को गलत ढ़ंग से समझा गया और पिता को सजा दी गई। कोर्ट ने उस फैसले को न्याय के साथ खिलवाड़ करार दिया। बता दें कि यह फैसले करीब 17 वर्ष बाद आया। गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई करते हुए ट्राइल कोर्ट ने आरोपी पिता को 10 वर्ष की सजा सुनाई। 10 वर्ष बाद वह जेल से रिहा हुआ और उसके बाद 22 वर्षों तक अपनी बेटी से रेप के आरोप के बोझ से जीता रहा। वह लगातार यह कहता रहा कि वह निर्दोष है, लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं मानी। हालांकि कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की नई पहल, जनवरी 2019 से लोगों को मिलेगी फैसलों की हिंदी में कॉपी
22 वर्ष बाद अदालत ने ठहराया बेकसूर
आपको बता दें कि ट्राइल के दौरान यह बात सामने आई थी कि एक लड़के ने उसकी बेटी का अपहरण किया था और फिर उसका रेप किया था। कुछ समय बाद लड़की गर्भवती हो गई। लेकिन जांच एजेंसियों ने इस बात पर विश्वास नहीं किया। आरोपी पिता लगातार डीएनए टेस्ट की मांग करता रहा, पर किसी ने नहीं सुनी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अप इसकी सुनवाई करते हुए कहा कि जांच एक तरफा किया गया था। बता दें कि इस पूरे मामले में आरोपी की पत्नी ने अपने पति का मरते दम का साथ दिया और यह गुहार लगाती रही कि उसके पति ने अपनी बेटी का रेप नहीं किया है।