मामले का खुलासा करते हुए मैसूर शहर के पुलिस आयुक्त चंद्रगुप्त ने कहा कि पूर्व आईबी अधिकारी आर.के. कुलकर्णी की हत्या उनके पड़ोसी मनु और उसके दोस्त अरुण गौड़ा ने की। आयुक्त ने बताया कि इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मनु कंस्ट्रक्शन बिजनेस में था। उसने अपने अपराध को कबूल लिया है। साथ ही सीसीटीवी फुटेज से भी यह बात साबित हो गई है कि रिटायर ऑफिसर पर जानबूझकर कार चढाई गई।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूर्व आईबी अधिकारी आर.के. कुलकर्णी की 4 नवंबर को मैसूर विश्वविद्यालय परिसर के अंदर चलते समय कार की चपेट में आने से मौत हो गई थी। पुलिस ने शुरुआत में हिट एंड रन का मामला दर्ज किया था। लेकिन पास में लगे सीसीटीवी कैमरों से फुटेज खंगालने पर पता चला कि अरुण गौड़ा ने वह जगह दिखाई थी जहां शाम को कुलकर्णी मैसूर विश्वविद्यालय परिसर में मनु के साथ टहलते थे। फुटेज में स्पष्ट रूप से पूर्व आईबी अधिकारी को एक कार से कुचलते हुए भी दिखाया गया है।
मनु से पूछताछ की गई तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। मनु मृतक का पड़ोसी था और उसके परिवार का सेवानिवृत्त आईबी अधिकारी के साथ संपत्ति का विवाद था। चंद्रगुप्त के अनुसार, मनु के पिता मडप्पा ने शारदादेवी नगर में कुलकर्णी के घर के बगल में एक इमारत का निर्माण किया था। कुलकर्णी ने मैसूर सिटी कॉरपोरेशन (एमसीसी) के उपनियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई थी क्योंकि मडप्पा ने कथित तौर पर पर्याप्त जगह छोड़े बिना घर बनाया था। कुलकर्णी के परिवार ने भी मडप्पा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
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पुलिस ने कहा कि इन घटनाओं ने मनु को क्रोधित कर दिया था, फिर उसने कुलकर्णी को मारने की योजना बनाई थी। पुलिस के अनुसार, मनु ने अपने पिता की जानकारी के बिना हत्या को अंजाम दिया। कुलकर्णी की मौत के बाद उसके परिवार वालों को पड़ोसियों की भूमिका पर शक था जिनका पीड़िता से विवाद था। पुलिस ने हत्या की जांच के लिए तीन विशेष टीमों का गठन किया था। हावेरी जिले के सावनूर के रहने वाले कुलकर्णी 1963 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल हुए थे। उन्होंने 1999 में सेवानिवृत्त होने से पहले साढ़े तीन दशक तक विभिन्न पदों पर कार्य किया था।