2008 में पहली घटना को दिया अंजाम
पुलिस ने बताया कि रविंद्र ने साल 2008 में पहली घटना को अंजाम दिया। तब वह मात्र 15 साल का था। वो ऐसे अपनी हवस मिटाने के लिए ऐसे गरीब बच्चों को चुनता था, जिनके माता-पिता दो वक्त की रोटी की चिंता में पूरा दिन बिता देते थे।
बेटी के लापता होने पर कुछ दिन रोत-पिटते लेकिन बाद में फिर थक हार कर बैठ जाते। इसी का वो फायदा उठाता था। उसे लगता था कि कानून उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। और धीरे-धीरे उसने 30 बच्चियों की बेरहमी से हत्या कर दी।
रविंद्र पर कैसे चढ़ा बच्चियों से रेप करने का सनक
बताया गया कि 2008 से पहले रविंद्र खूब भूतिया फिल्में देखता था। इसी दौरान उसने एक अंग्रेजी फिल्म देखी, जिसमें तीन लोग बच्चों की हत्या कर उनसे कुकर्म या दुष्कर्म करते थे। बस इस फिल्म ने उसके दिमाग पर गहरा असर डाल दिया। अब वो भी ऐसा करने की सोचना लगा। यह फिल्म देखने के बाद वह भी शराब पीने लगा और उसके बाद सूखा नशा (साल्यूशन व व्हाइटनर आदि) करने लगा।
2012 में परिवार के साथ बेगमपुर शिफ्ट हुआ रविंद्र
रविंद्र के केस की छानबीन कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि साल 2012 में उसका परिवार बेगमपुर शिफ्ट हुआ। तब उसकी उम्र 19 साल थी। 2008 से 2012 तक लगतातर क्राइम करता जा रहा था, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लग रही थी। 2014 में रविंद्र ने बेगमपुर इलाके में एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया। फिर उसकी गला रेतकर नाले में फेंक दिया। उसने सोचा कि बच्ची मर गई। लेकिन बच्ची की किस्मत अच्छी थी।
2014 में पहली बार मामला खुला, रविंद्र को हुई जेल
रविंद्र के केस की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड एसीपी जगमिंदर दहिया ने बताया कि वर्ष 2014 में एक बीट कांस्टेलब ने बच्चे को नाले में पड़े देख लिया और वो बच गया। इस सिलसिले में मुकदमा दर्ज हुआ और रविंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया। 2014 में से लेकर जुलाई 2015 तक आरोपी रविंद्र जेल में रहा।
पड़ोसी ने जमानत दी और बाद में उसे ही मारने की प्लानिंग की
2015 में रविंद्र के पड़ोसी ने उसकी जमानत कराई। बाद में वो उसी पड़ोसी के बेटे की खून का प्यासा हो गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविंद्र की पड़ोस के लड़के सन्नी से दोस्ती थी। सन्नी के पिता ही 2015 के केस में जमानती बने। जेल से आने के बाद रविंद्र का सन्नी के घर आना-जाना शुरू हुआ। इसकी वजह थी रविंद्र की मां। दरअसल सन्नी का रविंद्र की मां के साथ नाजायज संबंध थे।
सन्नी का था रविंद्र की मां के साथ संबंध
बताया गया कि एक दिन रविंद्र ने अपनी मां को सन्नी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। जिसके बाद रविंद्र सन्नी की हत्या करने की प्लानिंग करने लगा। 13 जुलाई 2015 को रविंद्र ने बहाने से सन्नी को एक सुनसान इलाके में ले गया। वहां उसने जमकर शराब पी। उसने सन्नी से भी शराब पीने को कहा, लेकिन उसने बहाना लगाकर शराब नहीं पी। नशे में उसने सन्नी की बहुत पिटाई की, लेकिन मौका पाकर सन्नी फरार हो गया।
लाश के साथ रेप के बाद पड़ोसी के दस्तावेज घटनास्थल पर फेंके
रविंद्र ने सन्नी के दस्तावेज अपने पास रख लिए थे। रात भर नशे की हालत में वो सन्नी को तलाशता रहा और बेगमपुर इलाके में पहुंच गया। जांच अधिकारी रहे रिटायर्ड एसीपी जगमिंदर दहिया ने बताया कि रविंद्र ने 14 जुलाई 2015 को सुबह साढ़े एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया।
जब वह बच्ची का रेप कर रहा था तो वह चिल्लाने लगी। गुस्से में आकर उसने बच्ची की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। उसके बाद उसने लाश के साथ दुष्कर्म किया। फिर उसकी लाश के पास सन्नी के डॉक्यूमेंट फेंक दिए।
लाश के पास मिले दस्तावेज से पुलिस सन्नी तक पहुंची
बाद में बेगमपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई। पुलिस ने बच्ची को तलाशना शुरू किया और आखिरकार जांच अधिकारी दहिया ने खंडहर से बच्ची की लाश को ढूंढ निकाला। घटनास्थल पर मिले सन्नी के दस्तावेज से पुलिस उसतक पहुंची। फिर पूछताछ में सन्नी ने रविंद्र की कहानी बताई। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद में भी वारदात को दिया अंजाम
लड़की के मर्डर के मामले में अब अदालत का फैसला आया है। उसे दोषी करार दिया है। रविंद्र 2015 से जेल में बंद है। पूछताछ में उसने ये बताया कि 2008 से लेकर 15 तक उसने 30 से ज्यादा बच्चियों को अपना शिकार बनाया है। जांच के दौरान पता लगा कि इसमें से 14 मामले दिल्ली के थे। दिल्ली के अलावा आरोपी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, बहादुरगढ़, और गाजियाबाद में वारदातों को अंजाम दिया।
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