बता दें कि रविवार (8 अगस्त) को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कई लोगों ने देश विरोधी भड़काऊ नारे लगाए थे। इस नारेबाजी का वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिस वक्त भड़काऊ नारेबाजी की जा रही थी, उस वक्त अश्विनी उपाध्याय वहां मौजूद थे। लिहाजा, दिल्ली पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मंगलवार को पेशे से वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय को गिरफ्तार किया था।
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पुलिस ने अश्विनी उपाध्याय के अलावा विनोद शर्मा, दीपक सिंह, दीपक, विनीत क्रांति और प्रीत सिंह को भी गिरफ्तार किया था। इसी मामले में पुलिस एक और भाजपा नेता पिंकी चौधरी की तलाश कर रही है। पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी भी की है। लेकिन बीते दिनों एक निजी टीवी चैनल के डिबेट शो में शामिल पिंकी चौधरी ने बताया था कि वे गाजियाबाद कार्यालय में उपलब्ध हैं, पुलिस जब भी उन्हें बुलाएगी वे खुद ही पेश हो जाएंगे।
अश्विनी उपाध्याय ने आरोपों से किया इनकार
बता दें कि गिरफ्तार से पहले अश्विनी उपाध्याय ने वायरल वीडियो की सत्यता पर सवाल खड़े करते हुए जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि यदि यह वीडियो सही है तो जरूर कार्रवाई की जानी चाहिए। उपाध्याय ने यह भी कहा था कि इस कार्यक्रम का आयोजन सेव इंडिया फाउंडेशन की ओऱ से किया गया था, जिसे वह नहीं जानते हैं। हालांकि वे इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने जरूर गए थे।
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वहीं, कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान उपाध्याय के वकील विकास सिंह और सद्धार्थ लूथरा ने कहा कि जब नारेबाजी हुई, तब अश्विनी उपाध्याय मौके पर नहीं थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उपाध्याय पर कोई भी केस नहीं बनता है।
वहीं अभियोजन पक्ष ने कहा कि जिस जगह पर लोग इकट्ठा हुए थे वह संसद के बेहद पास में है और ये सभी पुलिस की इजाजत के बिना इकठ्ठा हुए थे। जब पुलिस ने इन सभी को समझाया तब भी नहीं माने.. प्रदर्शन करते हुए देश विरोधी भड़काऊ नारेबाजी की। इस मामले में अभी अधिक जांच की जरूरत है।