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बुराड़ी कांड: 11 मौतों से सहम गया था देश, जांच एजेंसी ने भी मान ली हार, नहीं उठ सका रहस्य से पर्दा

जब एक साथ एक ही परिवार के 11 लोगों ने कर ली थी खुदकुशी, पूरे देश में मच गया था हड़कंप।

Dec 24, 2018 / 08:00 pm

Kaushlendra Pathak

burari case

बुराड़ी कांड: 11 मौतों से सहम गया था देश, जांच एजेंसी ने भी मान ली हार, नहीं उठ सका रहस्य से पर्दा

नई दिल्ली। साल 2018 अपने अंतिम पड़ाव पर है। चंद दिनों बाद नये साल का आगाज हो जाएगा। ऐसे में हर शख्स साल का लेखा-जोखा करने में जुट गया। क्या पाया-क्या खोया, सुख-दुख, हार-जीत सबकुछ का अवलोकन शुरू हो गया है। इस साल में देश में कई ऐसी घटनाएं घटी, कई ऐसे हादसे हुए, कई ऐसी कामयाबी मिली जो चर्चा का विषय बना रहा है। लेकिन, कुछ घटनाएं ऐसी भी घटी जिसने देश को झकझोर दिया। ऐसी ही एक घटना घटी दिल्ली के बुराड़ी में। इस हादसे से देश सहम गया, लोग हैरान रह गए, पुलिस बेचैन हो गई, सरकार सकते में आ गई लेकिन परिणाम नहीं निकल सका।
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एक नजर में भाटिया परिवार

तारीख एक जुलाई, जब सुबह-सुबह यह खबर आई कि दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने खुदकुशी कर ली है। जैसे ही यह खबर सामने आई, देश में हड़कंप मच गया। मरने वाले परिवार का नाम था ‘भाटिया परिवार’। परिवार के 10 सदस्य फंदे पर लटके पाये गये थे, जबकि परिवार की मुखिया 77 वर्षीय नारायण देवी का शव दूसरे कमरे में फर्श पर पड़ा मिला था। मृतकों में उनकी विधवा बेटी प्रतिभा (57 साल), उनके दो पुत्र भवनेश (50 साल) और ललित भाटिया (45 साल) के साथ ही दोनों की पत्नियां सविता (48 साल) और टीना (42 साल) और उनके बच्चे मीनू (23 साल), निधि (25 साल), ध्रुव (15 साल) और शिवम (15 साल) भी शामिल थे। मृतकों में प्रतिभा की बेटी प्रियंका (33 साल) भी शामिल हैं। केस की छानबीन शुरू हुई। लेकिन, जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ता गया पुलिस उलझती गई। क्योंकि, सच सामने नहीं आ रहा था।
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जब तंत्र-मंत्र का मामला आया सामने…

पुलिस ने जब छानबीन शुरू की तो सबसे पहले एक डायरी हाथ लगी। जैसे-जैसे डायरी के पन्ने खुलते गए पुलिस की उलझन बढ़ती गई। क्योंकि, मामला तंत्र-मंत्र का सामने आने लगा। शुरुआत में शक की सूई पहुंची छोटे बेटे और उसकी पत्नी के ऊपर। छानबीन आगे बढ़ी तो पता चला इस केस में भाटिया परिवार के मुखिया (जो पहले ही मर चुके थे) का नाम सामने आया। अब तक की जांच में तंत्र-मंत्र हावी हो चुका था और पुलिस मान चुकी थी कि यह हत्या नहीं बल्कि तंत्र-मंत्र के कारण की गई खुदकुशी है। जांच आगे बढ़ी तो लव एंगल का भी मामला सामने आया है। लेकिन, यह भी बात सही से सच साबित नहीं हो सकी। पोस्टमार्ट हुए, डीएन टेस्ट हुए लेकिन परिणाम भी साफ नहीं हो सका। पुलिस हार चुकी थी, सरकार बेचैन थी लेकिन जवाब नहीं मिल रहा था।
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सीबीआई ने हाथ में लिया केस

काफी दिनों तक सीबीआई ने इस केस की जांच की, लेकिन उनसे भी पूरी तरह यह गुत्थी नहीं सुलझ सकी। आखिरकार, इस केस की साइकोलॉजिकल अटॉप्सी कराई गई। सीबीआई ने जब पुलिस को साइकोलॉजिकल अटॉप्सी की रिपोर्ट सौंप दी पता चला कि भाटिया परिवार के लोग खुदकुशी नहीं करना चाह रहे थे। बल्कि, उन सबकी मौत एक हादसा था यानी गलती से सभी लोग मर गए। मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी के दौरान सीबीआई की केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) ने घर में मिले रजिस्टरों में लिखी बातों का और पुलिस द्वारा दर्ज किये गये परिवार के सदस्यों और मित्रों के बयानों का विश्लेषण किया। सीएफएसएल ने परिवार के सबसे बड़े सदस्य दिनेश सिंह चूंडावत और उनकी बहन सुजाता नागपाल तथा अन्य परिजनों से भी पूछताछ की। लेकिन, सही तरीके से यह गुत्थी नहीं सुलझ सकी।
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जब सामने आई बिसरा रिपोर्ट

करीब पांच महीने बीत गए, लेकिन इस केस की गुत्थी नहीं सुलझ सकी। आखिर में पांच महीने बाद विसरा रिपोर्ट से यह सच्चाई उजागर हो गई है कि आखिर एक घर में 11 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है। ये सामूहिक आत्महत्या थी या किसी की साजिश। इसको लेकर रिपोर्ट में कई जानकारियां सामने आई । बिसरा रिपोर्ट के मुताबिक चंडावत परिवार के किसी सदस्य के शरीर में कोई जहरीला पदार्थ नहीं पाया गया है। इस आधार पर यह कहा गया कि सभी 11 मौतें सामूहिक आत्महत्या ही थीं। आखिरकार, इस फाइल को बंद कर दिया गया, लेकिन सही तरीके बुराड़ी कांड से सच का पर्दा नहीं उठ सका।

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