कुछ इसी अंदाज में आज कृषि उपज मंडी गीदम के प्रांगण में 498 बोरे लावारिस धान की कहानी कुछ इसी तरफ इशारा करती नजर आ रही है। अब देखना यह है कि शासन प्रशासन इस मामले में जो 498 बोरा लावारिस धान कृषि उपज मंडी में मौजूद है उस धान का लावारिस केस बनाती है या दोषियों पर नकेल कसती है। चूंकि 498 बोरा धान कोई छोटी मोटी बात नही है इसके पीछे के छिपे चेहरों को शासन प्रशासन बेनकाब कर पाती है या नही।
कृषि उपज मंडी गीदम लेम्प अध्यक्ष गीदम बोगाराम ताती का कहना है कि गलत है तो गलत है सही है तो सही है। सही ये है कि समर्थन मूल्य में छोटे किसानों को कही न कही उनको नुकसान पहुंचता है। जब व्यापारियों का धान किसानों के नाम पर खपा दिया जाता है। जिससे छोटे किसान अपने धान बेचने से वंचित हो जाता है। गलत यह है कि व्यापारियों का धान लेम्पस के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिली भगत से खपा दिया जाता है जो सरासर गलत है।