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हिंसात्मक घटना में शामिल होने का आरोप
इन सभी आरोपियों पर 2 नवंबर 1984 को हिंसात्मक घटना में शामिल होने का आरोप था। इसके साथ ही इन पर कर्फ्यू का उल्लंघन करने का भी आरोप था। आपको बता दें कि उस दिन भड़की हिंसा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जबकि सैकड़ों घरों का आग के हवाले कर दिया गया था। यहां हैरान करने वाली बात यह है कि घटना के बाद बरामद हुए 95 शवों के बावजूद भी किसी भी दोषी पर हत्या जैसी धाराओं में आरोप तय नहीं हो पाए थे। इस मामले में सुनवाई के बाद जस्टिस आरके गौड़ा ने सितंबर में ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजधानी दिल्ली में दंगा भड़क गया था। इस दंगे में सिख समुदाय के कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। हिंसा का सबसे खतरनाक तांडव दिल्ली के महिपालपुर इलाके में देखने को मिला था, जहां दो सिख लोगों को दुकान से खींच कर आग के हवाले कर दिया गया था।