मोनंक पटेल ने 38 गेंद पर सात चौके और एक छक्के की मदद से 50 रनों की पारी खेली। वहीं नेत्रवलकर ने चार ओवर में मात्र 18 रन देकर दो विकेट झटके। इतना ही नहीं सुपर ओवर में चार ओवर में नेत्रावलकर ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 18 रन बचाए और टीम को जीत दिलाई। दिलचस्प्त बात यह है कि पाकिस्तान के खिलाफ इस जीत में अहम भूमिका निभाने वाले दोनों खिलाड़ी भारतीय मूल के हैं। इन में से एक ने तो भारत के लिए 2010 में अंडर 19 वर्ल्ड कप भी खेला है।
सौरभ नेत्रावलकर का जन्म 16 अक्टूबर 1991 को मुंबई में हुआ था। वे मलाड में पले और बढ़े और 10 साल की उम्र से उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। पहली बार उनका नाम 2008-09 सीज़न में सुर्खियों में आया। उन्होंने कूच बिहार ट्रॉफ़ी -19 क्रिकेट टूर्नामेंट में छह मैचों में 30 विकेट चटकाए थे। मुंबई को बल्लेबाज़ों के लिए जाना जाता था, ऐसे में किसी युवा तेज़ गेंदबाज़ की अच्छी गेंदबाज़ी पर लोगों की नज़रें तुरंत गईं।
नेत्रावलकर 2010 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में केएल राहुल, जयदेव उनादकट और मयंक अग्रवाल जैसे स्टार खिलाड़ियों से लैस भारतीय टीम का हिस्सा थे। न्यूज़ीलैंड में आयोजित इस टूर्नामेंट में उन्होंने नौ विकेट चटकाए थे। त्रवलकर ने साल 2013 में मुंबई के लिए फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था। हालांकि ज्यादा मौके नहीं मिलने के बाद सौरभ ने यूएस का रुख किया।
क्रिकेट के साथ-साथ सौरभ को पढ़ाई का भी शौक था। उन्होंने 2009-13 के दौरान सरदार पटेल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुंबई से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद सौरभ ने दो साल तक लगातार कोशिश की लेकिन प्लेइंग इलेवन के लिए प्रतिस्पर्धा इतनी थी कि वह अपनी जगह पक्की नहीं कर सके और आईपीएल में भी उन्हें मौक़ा नहीं मिला। 2015 में सौरभ आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। बाद में उन्हें एक प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी ओरेकल में नौकरी भी मिल गई।