आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल ने इस साल राइट-टू-मैच के नियमों में बदलाव किया है। जिसके बाद एक नया बवाल खड़ा हो गया है और आईपीएल की फ्रेंचाईजियों ने बीसीसीआई को लेटर लिखकर इसपर आपत्ति जताई है। बोर्ड ने 28 सितंबर को लीग की नई रिटेंशन पॉलिसी लागू की थी, इनमें राइट टु मैच कार्ड नियम की वापसी हुई। इस नियम के अनुसार, टीमें अगर किसी प्लेयर को रिटेन नहीं करना चाहती हैं, तो उन्हें मेगा ऑक्शन के दौरान राइट टु मैच कार्ड का इस्तेमाल कर अपने साथ बनाए रख सकती है। लेकिन इस बार बीसीसीआई ने एक बड़ा बदलाव कर दिया है।
नए आरटीएम नियम के तहत अगर किसी खिलाड़ी के लिए कोई टीम आरटीएम का इस्तेमाल करती है तो सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली टीम को बोली बढ़ाने की इजाजत दी जाएगी। यह बोली कितनी भी बड़ी हो सकती है।
मान लीजिये राजस्थान रॉयल्स (RR) जोस बटलर को रिटेन नहीं करती है और वह मेगा ऑक्शन में जाते हैं। ऑक्शन में उनके लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) और मुंबई इंडियंस (MI) बोली लगाते हैं। अंत में मुंबई 10 करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाकर बटलर को हासिल कर लेता है। पुराने नियम के तहत ऐसी स्थिति में राजस्थान रॉयल्स आरटीएम का इस्तेमाल कर बटलर को 10 करोड़ की कीमत पर खरीद सकती है। लेकिन नए नियम के तहत यहां मुंबई के पास एक आखिरी मौका होगा बोली को बढ़ाने का और मुंबई यहां बटलर की कीमत में कितना भी इजाफा कर सकती है। मान लीजिये यहां मुंबई बटलर की अगली बोली 13 करोड़ की लगाती है तो राजस्थान को बटलर को 13 करोड़ रुपये का खरीदना होगा।
इस नए नियम से राइट टु मैच कार्ड यूज करने वाली टीम का नुकसान होगा। या तो उसे ज्यादा पैसे देने होंगे या फिर खिलाड़ी को छोड़ना होगा। इसीलिए कुछ फ्रेंचाइजी ने बोर्ड को पत्र लिखकर कहा है कि अतिरिक्त बोली से यह नियम कमजोर होगा। राइट टु मैच कार्ड का उद्देश्य खिलाड़ी की मार्केट वैल्यू तय करना है। यदि कोई फ्रेंचाइजी खिलाड़ी पर मनमाने ढंग से बोली लगाएगी और उतनी कीमत कार्ड का इस्तेमाल करने वाली फ्रेंचाइजी को चुकानी होगी तो यह उद्देश्य पूरा नहीं होगा।