इससे पहले भारत को आख़िरी बार 1999-2000 में दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ अपने घर में दो मैचों की टेस्ट सीरीज़ में 0-2 से हार झेलनी पड़ी थी। भारत ने अपने घर में खेलते हुए एक ही सीरीज़ में तीन हार पांच बार झेल चुका है लेकिन ये सभी सीरीज़ पांच या छह मैचों की थी। भारत की नज़र व्हाइटवॉश के ख़तरे को टालने के साथ ही साथ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्लूटीसी) के फ़ाइनल में पहुंचने की उम्मीदों को भी ज़िंदा रखने पर होगी। भारत को अगर अपने दम पर डब्लूटीसी फ़ाइनल में जगह बनानी है तो फिर यहां से बचे हुए छह टेस्ट में से चार टेस्ट जीतने ही होंगे। अगर मुंबई में भी टीम इंडिया को हार मिलती है तो फिर ऑस्ट्रेलिया में पांच में से चार टेस्ट जीतना और भी कठिन हो जाएगा। लिहाज़ा रोहित और उनके साथी चाहेंगे कि मुंबई टेस्ट जीतने के बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में तीन मैच जीतते हुए सीरीज़ और डब्लूटीसी फ़ाइनल के टिकट पर क़ब्ज़ा जमाया जाए।
कप्तान रोहित और विराट कोहली के बल्ले से रन नहीं आना भारतीय फ़ैंस और भारतीय टीम के लिए चिंता का सबब है। विराट ने जहां इस सीज़न अब तक घर में खेलते हुए 8 पारियों में 26.71 की औसत से सिर्फ़ 187 रन बनाए हैं। तो मुंबई के लोकल ब्वाय और भारतीय टेस्ट कप्तान रोहित भी इस दौरान 8 पारियों में 13 की औसत से 104 रन ही बना पाए हैं। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ इस सीरीज़ में अब तक रोहित ने 2, 52, 0 और 8 का स्कोर किया है तो विराट ने भी 0, 70, 1 और 17 रन की ही पारी खेली है। ग्रोइन इंजरी से जूझ रहे केन विलियमसन भारत के ख़िलाफ़ 1 नवंबर से मुंबई में शुरू हो रहे तीसरे टेस्ट में भी नहीं खेलेंगे। न्यूज़ीलैंड क्रिकेट (एनजेडसी) ने कहा है कि इंग्लैंड के ख़िलाफ़ आगामी तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में विलियमसन की फ़िटनेस सुनिश्चित करने के कारणवश कीवी बल्लेबाज़ तीसरे टेस्ट के लिए भारत नहीं जाएंगे।
मुंबई में नहीं खेलेंगे केन विलियमसन
न्यूज़ीलैंड के कोच गैरी स्टीड के हवाले से न्यूजीलैंड क्रिकेट ने कहा, “केन की स्थिति में काफ़ी सुधार हुआ है लेकिन इस समय वह हमारे साथ जुड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। इसलिए हमारे विचार में उन्हें अभी न्यूज़ीलैंड में रिहैब करना चाहिए ताकि वह इंग्लैंड के ख़िलाफ़ श्रृंखला के लिए तैयार हो सकें।”