क्यों दिया है यह प्रस्ताव
आईसीसी का इरादा इसके जरिये अपना राजस्व बढ़ाना चाहता है। वह 2023 से लेकर 2028 तक के बीच वैश्विक मीडिया राइट्स बेचकर अपना मुनाफा बढ़ाना चाहता है और हर साल विश्व कप होने से यकीनन उसका मुनाफा बढ़ जाएगा। हालांकि बीसीसीआई ने आईसीसी के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति नहीं दी है। उसने कहा है कि बीसीसीआई के चुनाव के बाद नए बोर्ड पदाधिकारी इस पर विचार करेंगे। लेकिन लगता नहीं कि बीसीसीआई इस पर सहमत होगा, क्योंकि इससे भारत के प्रस्तावित भावी दौरों के कार्यक्रम और उसके राजस्व पर बुरा असर पड़ सकता है।
1975 में पहला एकदिवसीय विश्व कप खेला गया था और उसके बाद से अब तक हर चार साल में यह खेला जाता है। इसमें एक बार 1992 में पांच साल पर विश्व कप हुआ था तो एक बार 1999 में तीन साल पर। इसके अलावा अभी तक यह चार साल पर ही होता आ रहा है। लेकिन अगर आईसीसी का प्रस्ताव पास हुआ तो यह अब तीन साल पर होगा। जहां तक टी-20 विश्व कप की बात है कि बात है कि वह दो साल में एक बार होता है। 2007 में यह शुरू हुआ था, हालांकि वह अभी तक व्यवस्थित नहीं है। अगला विश्व कप 2020 में ऑस्ट्रेलिया में होना है और इसके अगले ही साल 2021 में एक बार फिर टी-20 विश्व कप का आयोजन भारत में होगा।
बीसीसीआई का अध्यक्ष बनते ही सौरव गांगुली के सामने इससे निबटना बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि अगर हर साल विश्व कप होंगे तो प्रसारक उसे दिखाने के लिए मोटी रकम खर्च करना पसंद करेंगे। ऐसे में आईपीएल और बीसीसीआई के फ्यूचर टूर प्रोग्राम के लिए मीडिया प्रसारक उतनी रकम खर्च करना पसंद नहीं करेंगे, जितनी वह अभी खर्च करते हैं। ऐसे में बीसीसीआई का राजस्व कम हो सकता है। आईसीसी के इस प्रस्ताव पर राहुल जौहरी ने कहा कि बीसीसीआई फिलहाल 2023 के बाद आईसीसी टूर्नामेंटों और प्रस्तावित अतिरिक्त आईसीसी टूर्नामेंटों पर न तो सहमति जताता है और न ही पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई को द्विपक्षीय सीरीज के अपना करार भी पूरा करना है। वहीं इस मसले पर सदस्य देशों के बोर्डों के सीईओ से राय नहीं ली गई है। यह एकतरफा और अपरिपक्व फैसला होगा। इसके अलावा यह भी कि इसमें सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।