बता दें कि महेन्द्र सिंह धोनी को सटीक डीआरएस रिव्यू के लिए जाना जाता है। जब 2011 के फाइनल मुकाबले में श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की थी। मैच में 39वां ओवर युवराज सिंह कर रहे थे। श्रीलंका की तरफ से तिलन समरावीरा बैटिंग कर रहे थे। इस ओवर में युवराज की एक बॉल पर समरावीरा कि खिलाफ एलबीडब्यू की अपील की गई। हालांकि अंपायर ने नॉटआउट बताया। धोनी इस मामले में डीआरएस (अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली) नहीं लेना चाहते थे। लेकिन युवराज सिंह ने धोनी को डीआरएस लेने को कहा। युवराज सिंह की जिद पर जब धोनी ने डीआरएस लिया तो नतीजा भारत के पक्ष के में आया और समरावीरा आउट हो गए।
बता दें कि आईसीसी वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में दो बार टॉस किया गया था। दरअसल, जब पहली बार टॉस हुआ तो मैच रैफरी ने ठीक से नहीं सुना था कि श्रीलंका के कप्तान संगकारा ने क्या मांगा। ऐसे में दोबारा टॉस किया गया और श्रीलंका ने टॉस जीता। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। श्रीलंका ने पहले बैटिंग करते हुए 274 रन बनाए थे। वहीं जब टीम इंडिया बैटिंग करने उतरी तो वीरेन्द्र सहवाग पहले ही ओवर में आउट हो गए थे। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी 18 रन बनाकर पैवेलियन लौट गए थे।
वर्ल्ड कप के फाइनल में गौतम गंभीर ने भारत की तरफ से शानदार पारी खेली। सहवाग के आउट होने के बाद गौतम गंभीर बैटिंग करने उतरे। उन्होंने 97 रनों की बेहतरीन पारी खेली और भारत ने विश्व कप जीता। वहीं कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने नाबाद 91 रन बनाए थे।