भारत बनाम पाकिस्तान पर ICC की निर्भरता
आईसीसी ने पिछले एक दशक से प्रतिद्वंद्विता का फायदा उठाना सुनिश्चित किया है। हालांकि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप एकमात्र ऐसा आईसीसी इवेंट है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे से नहीं भिड़े हैं। 2007 के वनडे विश्व कप से बाहर होने के बाद दोनों देशों को रणनीतिक रूप से एक ही ग्रुप में रखा गया है। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के साथ भी ऐसा ही हुआ, जहां भारत के साथ ग्रुप ए में न्यूज़ीलैंड, बांग्लादेश और पाकिस्तान को रखा है।
भारत-पाक की प्रतिद्वंद्विता नहीं रह जाएगी कमाई का साधन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीसीबी के भारत का बहिष्कार करने की योजना का मतलब यह हो सकता है कि प्रतिद्वंद्विता, जो आईसीसी के लिए बहुत बड़ी राशि जुटाती है, अब कमाई का साधन नहीं रह जाएगी। 2024-27 चक्र के लिए आईसीसी ने पहले ही 3.2 बिलियन डॉलर (करीब 27000 करोड़ रुपये) का प्रसारण अधिकार सौदा कर लिया है और विभिन्न स्रोतों से लगभग 1 बिलियन डॉलर ( करीब 8439 करोड़ रुपये) अधिक राजस्व अर्जित करने की उम्मीद है।
खत्म हो जाएंगे प्रसारण के सभी सौदे
अगर चैंपियंस ट्रॉफी, वनडे या टी20 विश्व कप में भारत बनाम पाकिस्तान मैच नहीं होता है, तो अगले चक्र के प्रसारण अधिकार कम हो सकते हैं और आईसीसी का राजस्व भी कम हो सकता है। क्रिकेट पाकिस्तान के एक सूत्र ने बताया कि आईसीसी इवेंट्स में भारत बनाम पाकिस्तान मैच नहीं होने का मतलब है कि सभी प्रसारण और प्रायोजन सौदे खत्म हो जाएंगे।
क्रिकेट में पाकिस्तान का महत्व
कई लोग वनडे को खत्म हो रहा फॉर्मेट मानते हैं, लेकिन अकेले भारत में 2023 में होने वाले वनडे विश्व कप में चिर प्रतिद्वंद्वी टीम के मैच को देखने के लिए करीब 40 करोड़ (400 मिलियन) लोग आए। दोनों के बीच मैच को अक्सर फाइनल से ज़्यादा दर्शक देखते हैं।
पूरा क्रिकेट जगत होगा प्रभावित
आईसीसी को प्रतिद्वंद्विता से जो पैसा मिलता है, वह कई देशों को जाता है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान की अनुपस्थिति सिर्फ़ एक या दो देशों को नहीं, बल्कि पूरे क्रिकेट जगत को प्रभावित करेगी। क्रिकेट पाकिस्तान के एक अन्य सूत्र ने बताया कि पाकिस्तान की भूमिका सिर्फ़ खेल के लिए ही नहीं, बल्कि क्रिकेट के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान शीर्ष प्रायोजकों और दर्शकों को आकर्षित करता है, जो आईसीसी और सभी क्रिकेट खेलने वाले देशों के लिए राजस्व में तब्दील होता है।