विश्व कप तक के लिए ही कप्तान थे कोहली
गावस्कर का कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार कोहली को विश्व कप तक के लिए ही कप्तानी सौंपी गई थी। इसके बाद अगर चयनकर्ताओं को विराट कोहली को कप्तान बनाना था तो वह इस मसले पर उन्हें एक बैठक बुलानी चाहिए थी। यह अलग बात है कि वह बैठक पांच मिनट ही चलती, लेकिन ऐसा होना चाहिए था।
एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने विंडीज दौरे के लिए विराट कोहली को तीनो फॉर्मेट का कप्तान नियुक्त किया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीसीसीआई का कामकाज संचालन करने के लिए गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने भी साफ कर दिया कि वह विश्व कप में टीम के प्रदर्शन पर रिव्यू बैठक नहीं बुलाएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि टीम के प्रदर्शन पर वह टीम मैनेजर की रिपोर्ट पर विचार करेगी। इस पर गावस्कर का कहना था कि विराट कोहली को आखिरकार क्यों मनपसंद टीम चुनने का अधिकार मिलता रहा है।
चयन समिति को बताया कठपुतली
सुनील गावस्कर ने कहा कि चयन समिति में बैठे लोग कठपुतली हैं। विराट कोहली को दोबारा कप्तान बनाने के बाद टीम पर सुझाव देने के लिए विराट कोहली को मीटिंग में बुलाया। इससे संदेश यह गया कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को विश्व कप में उनके खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर किया गया, जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा जताया था और नतीजा यह हुआ था कि टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी थी।
बीसीसीआई में भी विराट कोहली की कप्तानी पर अलग-अलग विचार हैं। एक तबके का मानना था कि 2023 विश्व कप के मद्देनजर तीनों फॉरमेट में अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम हो सकता है और इससे आने वाले समय में टीम इंडिया को फायदा मिलेगा।