देवेंद्र झाझड़िया जेवलीन थ्रो( भाला फेंक) के स्टार खिलाड़ी हैं। जब वह केवल 10 वर्ष के थे तभी उन्होंने इस खेल में कुछ कर गुजरने का ठाना। उन्होंने यह फैसला ऐसे हालात में लिया जब उनके पास केवल एक हाथ बचे दूसरा दुर्घटने में उन्होंने खो दिया। कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो रास्ते खुद व खुद बनते चले जाते हैं। देवेंद्र झाझड़िया का सफर भी ऐसा ही रहा। पेड़ की लकड़ियों से भाला बनाकर एकलव्य की भांति अभ्यास शुरू किया। देवेन्द्र रोजाना भाला फेंकने का 5-6 घंटे प्रयास करने लगे।
धीरे-धीरे वह भाला फेंकने में पारंगत हो गए और कक्षा 10 वीं में ही जिलास्तरीय एथलेटिक्स टूर्नामेंट में पहली बार स्वर्ण पदक हासिल किया। और यह सिलसिला साल दर साल आगे बढ़ता रहा। जिले के बाद राज्यस्तर पर कामयाबी पाई, कुछ ही वर्षों में राष्ट्रीयस्तर पर परचम लहराया। जिसके बाद एथेंस पैरा ओलम्पिक में स्वर्ण पदक, इंचियोन दक्षिण कोरिया पैरा एशियन गेम्स में रजत और चीन के ग्वाऊ च्युयानलिंग में कांस्य पदक जीतकर विश्वभर में भारत का नाम रौशन किया।