आयुर्वेद औषधालय पहले से ही बिना चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के चल रहे हैं। सरकार की यह व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरे के समान प्रतीत हो रही है। मजबूरन चिकित्सा कर्मियों को अपनी जेब से सफाई व्यवस्था करानी पड़ रही है। जिले में विभाग के कुल 115 औषधालय संचालित हैं। विभाग के अधिकारियों की माने तो औषधालयों में परिचारकों के कुल 98 पद स्वीकृत हैं, इसमें से केवल 70 ही कार्यरत हैं। बजट भी इतना मिलता है कि कर्मचारी मिलना तो दूर की बात है, भवनों की साफ-सफाई भी कराना चिकित्सकों के लिए मुश्किल हो रहा है। साफ-सफाई के लिए उन्हें अपनी जेब से खर्चा करना पड़ रहा है। इधर, सफाई को लेकर सरकार के निर्देश है कि चिकित्सा कर्मियों को औषधालय स्वच्छ रखना पड़ता है। ऐसी स्थिति में चिकित्सकों को या तो स्वयं की जेब से खर्चा करना पड़ता है, या फिर स्वयं को ही सफाई करनी पड़ती है।