खेती से लेकर हर बिजनेस में है भागीदारी
लोगों की सांवलिया जी को लेकर ऐसी मान्यता है जितना वे यहां चढ़ाएंगे सांवलिया सेठ उनके खजाने को उतना ज्यादा भरेंगे। ऐसे में कई लोगों ने अपने खेती से लेकर व्यापार व तनख्वाह में सांवलिया सेठ का हिस्सा रखा हुआ है। ऐसे लोग हर माह मंदिर आते हैं और उसके हिस्से की राशि चढ़ा देते हैं। यह राशि 2 से लेकर 20 फीसदी तक है।
श्री सांवलिया जी मंदिर का भंडारा हर माह अमावस्या के 1 दिन पहले चतुर्दशी को खोला जाता है। इसके बाद अमावस्या का मेला शुरू हो जाता है। वही दीपावली के समय यह भंडारा दो महीने व होली के समय डेढ़ माह में खोला जाता है।
मंदिर में लोग रसीद कटाकर नंबर 1 में भी दान कर कर जाते हैं। यह राशि 30 से 70 लाख रूपय के बीच होती है। जनवरी माह में खुले भंडारे में यह राशि 66 लाख रूपय आई है। अधिकांश राशि सेवा कार्य में मंदिर ट्रस्ट को अर्जित होने वाली आय सेवा और विकास कार्य में उपयोग की जाती है। ट्रस्ट शिक्षा, चिकित्सा, धार्मिक आयोजन, विकास और मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने में यह राशि खर्च करता है। ट्रस्ट ने मंडफिया के आसपास के 16 गांवों का विकास भी इसी राशि से करवा रहा है।
सांवरिया सेठ मंदिर में आने वाले कई भक्त एनआरआई है। ये विदेशों में अर्जित आय से सांवरिया सेठ का हिस्सा चढ़ाते हैं। ऐसे में भारतीय रुपए के साथ अमरीकी डॉलर, पाउण्ड, रियॉल, दिनार और नाईजीरिया नीरा के साथ कई देशों की मुद्रा मंदिर के भंडारे में आती है।
सांवरिया सेठ की ऐसी मान्यता है जिसके कारण देश के कोने-कोने व विदेशों से हर साल करीब एक करोड़ लोग मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार हर माह करीब साढ़े 8 से 9 लाख के बीच श्रद्धालु मंदिर में आते हैं।