जिले में इस बार के मानसून में औसत से ज्यादा बारिश होने के बाद भी नौ बांध बिल्कुल खाली रहे गए। इनमें चित्तौड़गढ़ का बनाकिया, गंगरार का सोनियाणा, भदेसर का सांवरिया सरोवर, गंगरार का बोरदाव सालेरा, कपासन का सरोपा, भदेसर का लुहारिया, कपासन का कांकरिया व गंगरार का कुंवालिया बांध शामिल है। इन बांधों में पानी की आवक नहीं हुई है।
जबकि पेयजल को लेकर चित्तौड़गढ़ की लाइफ लाइन माने जाने वाले घोसुण्डा बांध में इसकी क्षमता के मुकाबले 64.01 प्रतिशत पानी की आवक ही हुई है। जबकि इस बांध से एक औद्योगिक इकाई पानी का इस्तेमाल करती है। इसी तरह बड़ीसादड़ी के पारसोली में 28.46, डूंगला के वागन बांध में क्षमता के मुकाबले 13.47, राशमी के आरणी में 48.11, भूपालसागर में 27.92, कपासन के पटोलिया में 11.32, निम्बाहेड़ा के बाड़ी मानसरोवर में 58.44, राशमी के डिण्डोली में 18, कपासन में 16.1 व बड़ीसादड़ी के पिण्ड बांध में क्षमता के मुकाबले पूरे मानसून में सिर्फ 10.56 प्रतिशत पानी की आवक ही हुई है।
रहेगी पानी की किल्लत
जिले के कई बांधों में पानी की आवक नहीं होने से गर्मी के दिनों में पानी की भारी किल्लत रहने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में गर्मी के दिनों में प्रशासन को इन बांधों से जुड़े गांवों में विशेष व्यवस्था करनी होगी।
चार साल से यह क्षेत्र सूखा
करीब चार साल से कपासन, भूपालसागर, राशमी, गंगरार बेल्ट के जल स्त्रोंतों में पानी की आवक नहीं हो रही है। यदि हो भी रही है तो वह नहीं के बराबर है। यहां पेयजल की समस्या आना तय माना जा रहा है। मातृकुंडिया बांध से यहां के जलाशयों को भराने की मांग की जा रही है। राशमी क्षेत्र के मातृकुण्डिया बांध से पानी मेजा फीडर के जरिए भीलवाड़ा जिले के मेजा बांध तक भेजा जाता है। जबकि चित्तौड़गढ़ जिले में होते हुए भी मातृकुण्डिया बांध के पानी का उपयोग इस जिले में नहीं हो पा रहा है। पिछले दिनों भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष बद्रीलाल जाट सिंहपुर ने भी मुख्यमंत्री से मांग की थी कि भीलवाड़ा जिले का मेजा बांध पूरा भर चुका है। ऐसे में मातृकुण्डिया बांध का पानी डिण्डोली फीडर में छोड़ा जाना चाहिए।
इसके अलावा बजरी का अत्यधिक दोहन होने से फीडर का लेवल भी गड़बड़ा गया है। इसे सही करते हुए मातृकुण्डिया बांध के पानी का उपयोग राशमी, कपासन क्षेत्र में किया जा सकता है, जहां पानी की अत्यधिक आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने माही बांध से यहां तक पानी पहुंचाने की दीर्घकालिक योजना बताकर वर्तमान आवश्यकता को गोलमाल कर दिया।