ऐसे में बोर्ड के वीक्षक पैनल में जो शिक्षक है, उन्हीं से कॉपी जांच कराना मजबूरी हो गया है। विद्यार्थियों व अभिभावकों की ओर से अब मांग यह भी गूंजने लगी है कि जब सरकार ने अंग्रेजी माध्यम स्कूल अलग से खोल दिए तो फिर भर्ती भी अलग से होनी चाहिए, जिससे शैक्षिक प्रतिभाओं के साथ और बेहतर तरीके से न्याय हो सके।
शिक्षकों का दर्द : नहीं बढ़ा कॉपी जांचने का मानदेय
प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं की कॉपी जांचने वाले शिक्षकों का मानदेय भी लगभग 12 साल से नहीं बढ़ा है। शिक्षकों का कहना है कि बोर्ड की ओर से परीक्षा शुल्क में कई बार बढ़ोतरी की जा चुकी है। वर्तमान में प्रति विद्यार्थी 600 रुपए बोर्ड परीक्षा का आवेदन शुल्क लिया जा रहा है। बोर्ड की ओर से वीक्षकों को मानदेय के तौर पर दसवीं के लिए 14 रुपए और बारहवीं के लिए 15 रुपए प्रति उत्तर पुस्तिका दिए जाते हैं।
वर्ष 2012 के बाद इस राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। बोर्ड परीक्षाओं में नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को मानदेय में बढ़ोतरी का इंतजार है। अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों की कॉपी हिन्दी माध्यम के शिक्षकों की ओर से ही जांची जा रही है। हालांकि कॉपी जांचने वाले कई शिक्षक साक्षात्कार के जरिए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में जरूर पढ़ाई करवा रहे हैं। इन विद्यार्थियों की कॉपियों का मूल्यांकन अंग्रेजी माध्यम में लगे हुए शिक्षक करते तो ज्यादा अच्छा होता। अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए नई भर्ती करने की आवश्यकता है।
फैक्ट फाइल
-चित्तौडग़ढ़ जिले में महात्मा गांधी स्कूल : 89
-प्रदेश में कुल महात्मा गांधी स्कूल : 3500
-आठवीं बोर्ड में शामिल : 1200 महात्मा गांधी विद्यालयों के विद्यार्थी
-दसवीं बोर्ड में शामिल : 205 महात्मा गांधी विद्यालयों के विद्यार्थी
-बारहवीं बोर्ड में शामिल : 23 महात्मा गांधी विद्यालयों के विद्यार्थी