पंजीकरण निरस्त होने के बाद भी एनजीओ को निधि विजिलेंस की झांसी इकाई द्वारा की गई जांच में सामने आया कि फैजाबाद के एनजीओ “पर्यावरण एवं ग्राम्य विकास अभियंत्रण सेवा संस्थान” का पंजीकरण 16 अक्टूबर 2001 को निरस्त कर दिया गया था। इसके बावजूद, 17 जनवरी 2003 से 20 मार्च 2004 के बीच इस संस्था को सांसद निधि, संपूर्ण रोजगार योजना और आईआरडीपी अवस्थापना मद से विभिन्न कार्यों के लिए 18 लाख 97 हजार 400 रुपये की राशि जारी कर दी गई।
आवंटित धनराशि का गबन विजिलेंस की जांच में यह भी पाया गया कि आवंटित धनराशि से कोई काम नहीं कराया गया और सरकारी धन का गबन कर लिया गया। आरोपियों पर मुकदमा दर्ज
इस मामले में उप्र सतर्कता अधिष्ठान की झांसी इकाई में तैनात निरीक्षक अतुल कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपियों में चित्रकूट के तत्कालीन डीएम ओम सिंह देशवाल, तत्कालीन सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी, डीआरडीए के तत्कालीन परियोजना निदेशक प्रेमचंद्र द्विवेदी, एनजीओ के अध्यक्ष देवनारायण तिवारी, डीआरडीए के तत्कालीन पटल सहायक प्रदीप कुमार माथुर, रामस्वरूप श्रीवास्तव, मुन्नालाल तिवारी और आरईएस के अवर अभियंता बुद्धिराम चौधरी शामिल हैं।
विवेचना जारी विजिलेंस के इंस्पेक्टर अतुल कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया आरोपियों पर गबन का आरोप प्रमाणित हो चुका है। आगे अभियोग की विवेचना उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान द्वारा की जाएगी।