सात फरवरी को जंगलों में खोजबीन करेंगे वन कर्मचारी, दो साल पहले 2021 में मिले थे 113 गिद्ध
छिंदवाड़ा•Jan 31, 2024 / 12:11 pm•
manohar soni
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छिंदवाड़ा.गिद्धों की घटती संख्या को देखते हुए उनके ठिकाने नए सिरे से ढूंढे जाएंगे। इस बार सात फरवरी को ये गणना वन कर्मचारी करेंगे। वे चट्टानों और कंदराओं में पहुंचकर इस पक्षी की उपस्थिति दर्ज करेंगे। इस संख्या को राज्य और राष्ट्रीय स्तर की सांख्यिकी में शामिल किया जाएगा।
विभागीय जानकारी के अनुसार दो साल पहले 2021 में वन विभाग की ओर से गिद्धों की गणना कराई गई थी। तामिया, छिंदी, झिरपा, देलाखारी, बटकाखापा और हर्रई सहित अन्य रेजों की चट्टान, कंदराओं और पहाडिय़ों पर गणना में 113 गिद्ध पाए गए थे। इससे पहले वर्ष 2018 में गिद्धों की संख्या 94 पाई गई थी। इस बार फरवरी के पहले सप्ताह में हो रही गिद्धों की गणना में छिंदवाड़ा जिला फोकस में रहेगा। इनके नए आवासों की टोह ली जाएगी।
इस गणना में संकलित जानकारी एवं आंकड़ों के आधार पर गिद्ध आवास स्थलों के संरक्षण की रणनीति तैयार की जाएगी। जिले में गिद्धों के आवास स्थल की वास्तविक गणना के कार्य में संस्थाएं और कर्मचारी शामिल होंगे।
वन अधिकारियों ने हाल ही में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस बार पश्चिम वनमण्डल को नोडल बनाया गया है।
डीएफओ ईश्वर जरांडे का कहना है कि जिले में हर्रई, बटकाखापा, तामिया जैसे पूर्व और पश्चिम वनमण्डल में गिद्धों के आवास है। इस वर्ष सात फरवरी को गिद्धों की गणना कर इसका रिकार्ड प्रदेश स्तर पर भेजा जाएगा।
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इन जिलों में हैं गिद्धों के आवास
गिद्ध आवास स्थल वाले जिलों में छिंदवाड़ा, रायसेन, मंदसौर भोपाल, सीहोर, विदिशा, छतरपुर, टीकमगढ़, भिण्ड, दतिया, इंदौर, देवास, शाजापुर, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर, डिण्डोरी, जबलपुर, कटनी, मंडला, रीवा, सतना, सीधी, दमोह, सागर, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, अशोकनगर, गुना, शिवपुरी और नीमच हैं। खेती में बढ़ते कीटनाशक से पूरी जैव विविधता पर असर पड़ा है। इसके चलते गिद्ध गणना की जरूरत महसूस हो रही है।
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