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छिंदवाड़ा

स्टॉक लिमिट घटाने से ही गेहूं के दामों में आएगी कमी

– फिलहाल थोक व्यापारी 30 हजार क्विंटल गेहूं व फुटकर दुकानदार 100 क्विंटल कर सकते हैं जमा

छिंदवाड़ाJun 30, 2024 / 05:46 pm

prabha shankar

Kusmeli mandi

Kusmeli mandi

गेहूं की खरीद करने वाले लाइसेंसी व्यापारियों एवं फुटकर दुकानदारों सहित, आटा मिलों को पिछले एक साल से गेहूं रखने की लिमिट सरकार ने तय की हुई है। इस लिमिट के अनुसार जहां थोक अनाज व्यापारियों को 3000 मीट्रिक टन और फुटकर अनाज दुकानदारों को 10 मीट्रिक टन तक स्टॉक करने की अनुमति है, वहीं आटा मिलों को साल भर में अपने उत्पादन का 70 फीसद गेहूं को स्टॉक करने का अधिकार है। सरकार ने गेहूं एवं आटा के बढ़ते दामों पर नियंत्रण के उद्देश्य के लिए भले ही नई स्टॉक लिमिट घोषित कर दी हो, लेकिन इस नियम से पिछले एक साल में गेहूं के दामों में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है।
स्टॉक लिमिट घोषित करने के एक माह बाद भी जुलाई 2023 में गेहूं के जो दाम उस समय रहे, इस साल भी नई फसल आने के बाद दाम पिछले साल के आसपास ही घूमते रहे। इसके उलट गत साल की तुलना में इस साल दाम बढ़े ही हैं, जबकि माना जाता है कि नई फसल आने के बाद गेहूं के दामों में गिरावट आती है। व्यापारियों की मानें तो गेहूं के दाम कम करना है तो और स्टॉक लिमिट और घटानी होगी।

मंडी के पोर्टल में रहता है स्टॉक

मंडी परिसर के अंदर खरीदी गई सभी उपज का हिसाब किताब मंडी के अनुबंध पोर्टल पर रहता है। अनुबंध में व्यापारी के नीलामी से खरीदे गए उपज से लेकर उसके एक्सपोर्ट तक की जानकारी रहती है। व्यापारी के गोदाम एवं मंडी शेड के अंदर रखा हुआ गेहूं सभी स्टॉक के दायरे में रहता है। प्रत्येक 15 दिनों में व्यापारी अपनी पाक्षिक रिपोर्ट भी मंडी के समक्ष रखता है, जिसका सत्यापन करना मंडी प्रबंधन का दायित्व होता है। मंडी परिसर के गेहूं का रिकॉर्ड तो मंडी के पास रहता है, लेकिन मंडी से बाहर सीधे किसान से खरीदकर गोदाम में रखने की जानकारी मंडी में नहीं होती है, जिसकी पड़ताल मंडी ही कर सकती है। हालांकि मंडी सचिव सुरेश परते की मानं तो व्यापारी के गोदामों की नियमित जांच की जाती है।

नियंत्रण की संभावना बेहद कम

इस साल गेहूं का उत्पादन 20 फीसद कम हुआ है। स्टॉक लिमिट तय की है। यदि व्यापारी वर्तमान में इससे अधिक गेहूं को बाजार में निकालता है तो, त्योहारों के समय कमी पड़ेगी और उस समय दाम बेतहाशा बढ़ सकते हैं। इस स्टॉक लिमिट से गेहूं के दामों पर नियंत्रण की संभावना बेहद कम है। गेहूं के दाम कम करना है तो और स्टॉक लिमिट और घटानी होगी। वहीं यदि गेहूं को मांग की तुलना में आयात से आपूर्ति पर ध्यान दिया गया तो दामों पर नियंत्रण हो सकता है।
– प्रतीक शुक्ला अध्यक्ष अनाज व्यापारी संघ, छिंदवाड़ा

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