पांच दशक से मरम्मत नहीं, जर्जर स्कूल भवन में बैठने को मजबूर विद्यार्थी
पिपला के आजू-बाजू के लगभग 16 गांवों के बच्चे इस स्कूल में पढऩे पहुंचते हैं। इनमें अधिकांश गरीब व मध्यम परिवार से हैं। मिली जानकारी के अनुसार स्कूल भवन में 8 कच्चे कमरे हैं जो जर्जर अवस्था में है। कई कमरों की छत कवेलू कच्चे होने से क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
छिंदवाड़ा/पिपला. नगर में संचालित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भवन की हालत जर्जर हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार विद्यालय वर्ष 1977 में अशासकीय संस्था फ्रेंड्स एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित हुआ करती थी। सन 1982 में संस्था शासनाधीन हुई। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा छठवीं से लेकर कक्षा बारहवीं तक कुल 600 छात्र अध्ययनरत है।
आठ कमरे कच्चे पिपला के आजू-बाजू के लगभग 16 गांवों के बच्चे इस स्कूल में पढऩे पहुंचते हैं। इनमें अधिकांश गरीब व मध्यम परिवार से हैं। मिली जानकारी के अनुसार स्कूल भवन में 8 कच्चे कमरे हैं जो जर्जर अवस्था में है। कई कमरों की छत कवेलू कच्चे होने से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। कुछ कमरे नए बनाए गए हैं, परंतु ब फिलहाल जर्जर हो चुके कमरों के ऊपर पॉलीथिन लगाई गई है। विद्यार्थियों ने बताया कि छत के नीचे बैठक में हमेशा भय बना रहता है कि कुछ सिर पर न गिर जाए। वहीं बैंच पर धूल मिट्टी भी जमी रहती है।
कवेलू गिरने का रहता है डर बारिश के दिनों में छत से कवेलू नीचे गिरते हैं। छात्राओं ने बताया कि बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है। पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। छात्रों में छत कई जगह से खराब हो गई है । उन्होंने जर्जर और क्षतिग्रस्त हो चुके कमरों की मरम्मत कराने की मांग की है।
IMAGE CREDIT: patrika टिन शेड की व्यवस्था बनाई जा रही है स्कूल भवन के दो कमरे ज्यादा खराब है, इनके डिस्मेंटल का प्रकरण तैयार किया गया है। अन्य क्षतिग्रस्त कमरों के कवेलू हटाकर टिन शेड की व्यवस्था बनाई जा रही है। विजय धुरडे, बीइओ, सौंसर
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