पूरे पातालकोट की यही स्थिति
वर्तमान में पातालकोट के ग्रामीण मक्के की बोवनी में लगे हुए हैं। पिछले कई वर्षों से बजट न होने का हवाला इन आदिवासियों को दिया जाता है। पुरुषों व महिलाओं द्वारा बैल बनकर खेती के काम में जुटने वाले नजारे पूरे पातालकोट और तामिया ब्लॉक में देखने को मिलेंगे। पातालकोट के इन 12 गांवों की आबादी तकरीबन तीन हजार की करीब है। इन आदिवासियों को शासकीय योजना के तहत बैल बछड़े दिए जाने थे जो नहीं दिए गए। वर्तमान में रातेड़, चिमटीपुर, गुज्जा डोंगरी, हर्रा कछार, सूखाभांड, घटलिंगा, गैलडुब्बा, करियाम रातेड़, सिधोली में एेसी ही स्थिति नजर आ रही है।
तीन वर्षों से नहीं मिला बजट
भारिया आदिवासियों के लिए भारिया अभिकरण से बजट आता है जो कि तीन वर्षों से नहीं मिल पाया है। इसके कारण उन्हें अनुदान नहीं मिल पाया है।
शिल्पा जैन, सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग