चुनाव में मतदान तिथि 17 नवम्बर को है। नामांकन प्रक्रिया 21 अक्टूबर से शुरू हो रही है। जिस विधानसभा में टिकट घोषित हो गई है, वहां प्रत्याशियों और उनके कार्यकर्ताओं ने प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। इधर जनसमस्याओं से पीडि़त गांव के लोग ऐसे नेताओं का इंतजार कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि वे अपने नेताओं को जर्जर बदहाल सडक़ दिखाए। उस पुलिया को बताएं, जहां से हर बारिश में आने वाली बाढ़ से लोगों की मौत हो रही है।
नाले-नालियां नहीं बन रही हैं। पेयजल समस्या बनी हुई है। जनपद पंचायत छिंदवाड़ा के गांव खापाकला के सरपंच राहुल वर्मा का कहना है कि नेता हर बार आश्वासन देकर चले जाते हैं। उनकी समस्याएं यथावत बनी रहती है। इसके चलते इस बार उनका गांव नेताओं से नहीं मानेगा। अधिकारी आश्वासन देकर गए हैं। मतदान बहिष्कार हर हाल में होगा।
पांच साल पहले भी सडक़ के लिए बहिष्कार
वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के समय कुछ मतदान केन्द्रों में बहिष्कार हुआ था। वाडेगांव, रामूढाना और डुंगरिया के लोग सडक़ समेत अन्य सुविधाएं न होने पर नाराज थे। सभी ने एक राय होकर मतदान नहीं किया था।
इन गांवों में मतदान बहिष्कार की चेतावनी
1. बिछुआ जनपद पंचायत ग्राम पंचायत आमाकुही के अंर्तगत गांव टेकापार में सडक़ नहीं बन पा रही है।
2. मोहखेड विकासखंड की ग्राम पंचायत तंसरामाल के गांव तिनकुही के ग्रामीणों ने मोहखेड़-उमरानाला मेन रोड़ पर रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर लगा दिया है।
3.मोहखेड़ के ग्राम मछेरा के लोग भी सडक़ न बनने से नाराज है।
4 .लोधीखेड़ा-खमारपानी राजमार्ग पर ग्राम रंगारी के पास पुल अधूरा पड़ा हुआ है। इससे ग्रामीणों में नाराजगी है।
5. पांढुर्ना विकासखण्ड की ग्राम पंचायत करवार के ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला।
6. ग्राम छाबड़ी के रहवासी धनौरा मेन रोड से कुर्सीढाना होते हुए छाबड़ी तथा मेट से बोरपानी तक डामरीकरण सडक़ निर्माण न बनने से खफा है।
7. पांढुर्ना के सातभाईढाना में एक किमी सडक़ का निर्माण नहीं हो पाया है।
8. पांढुर्ना के ही जामलापानी पंचायत के ग्राम मरकावाड़ा में सडक़ निर्माण न होने से ग्रामीण नेताओं को सबक सिखाना चाहते हैं।
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