शासन ने मजदूरों के लिए कलेक्टर रेट से मजदूरी तय कर रखी है। रोजनदारी पर जाने वाले मजदूरों को आज तक कलेक्टर रेट से मजदूरी नहीं मिली। मजदूरों की मंडी में हर वर्ग के मजदूर का अलग-अलग रेट तय है। महिला, पुरुष, किशोरवय के मजदूरों को उनके काम के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। ये वो मजदूर है जो निर्माण श्रमिक कहलाते है और भवन आदि निर्माण में काम करते है। होटलों, दुकानों, संस्थानों, निजी तौर पर काम करने वाले मजदूरों को उनके काम के हिसाब से मासिक मजदूरी दी जाती है।
सरकार समय-समय पर मजदूरों के लिए कई योजनाएं लाती है। हालांकि अधिकतर मजदूर श्रम विभाग की योजनाओं और अपने अधिकारों की जानकारी भी नहीं रखते।
पीढ़ी दर पीढ़ी कर रहे मजदूरी
जिले में ऐसे कई परिवार हैं जिनके सदस्य हर दिन जाकर मजदूरों के बाजार में काम की तलाश में घंटो खड़े रहते हैं। एक ठेकेदार ने बताया कि लगभग 20 वर्ष से नरसिंहपुर रोड पर हर दिन मजदूरों का जमघट लगता है। कई मजदूरों का पेशा ही यही है। पीढ़ी दर पीढ़ी वे मजदूरी करते आ रहे हैं।
मजदूर राकेश ने बताया कि अब तो यह उनके जिंदगी का एक हिस्सा बन गया है। पहले जब कम मजदूर रहा करते थे तब उन्हें अच्छी मजदूरी मिल जाती थी। अब तो काम पर ले जाने वाले उनसे पहले सौदा तय करते हैं। सुरेशन कहते हैं की अब तो उनके साथ उनका बेटा भी दो साल से काम के लिये मजदूरों के लगने वाले इस मेले में आकर खड़ा होता है और खरीददार उन्हें खरीदकर ले जाते हैं। मजदूरी की कोई दर निर्धारित नहीं है।