अविरल जलधारा का है अपना महत्व
जुन्नारदेव स्थित पहली पायरी के शिव मंदिर से अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है जिसकी आस्था के चलते बड़ी संख्या में लोग जहां पहुंचते है। पहली पायरी स्थित अविरल जलधारा का जल कहां से आता है इसका पता आज तक नहीं लग पाया है और रहस्यमय बात यह है कि इस अविरल जलधारा का जल 12 महीनों तक निरन्तर प्रवाहित रहता है कहते है इस जल को ग्रहण करने तथा स्नान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। बड़ी संख्या में शिव भक्त इस अविरल जलधारा में स्नान कर शिवजी की आराधना कर अपनी यात्रा प्रारंभ करते है।
दुर्लभ है चौरागढ़ का मार्ग
सतपुड़ा की पहाडिय़ों के शीर्ष
स्थल पचमढ़ी के चौरागढ़ में स्थित भोलेनाथ के धाम में लाखों शिवभक्त बहुत ही दुर्गम स्थानों का रास्ता तय कर पहुंचते है। होशगाबाद जिले के पचमढ़ी की सुरम्य पहाडिय़ों में स्थित चौरागढ़ पहुंचने के लिए भक्तों को सर्वप्रथम सांगाखेड़ा के भूराभगत पहुंचना होता है। भूराभगत पहुंचने के लिए शिवभक्त अपनी यात्रा की शुरुआत पहली पायरी से प्रारंभ करते है। पहली पायरी से प्रारंभ होने वाला 24 किमी का पैदल मार्ग गारादेही, बिलावर, उमराड़ी, छाबड़ा, सतघघरी, चरनभाटा, गौरखनाथ, माया छन्दर नाथ, कट्टा से होते हुए सांगाखेड़ा के भूराभगत तक पहुंचा जा सकता है। 24 किमी लंबे रास्ते में सात पहाडिय़ों तथा कई नदियों को पार कर पहुंचते है। इसके पश्चात चौरागढ़ के लिए 9 किमी की ऊंचाई के खड़े पहाड़ की चढ़ाई प्रारंभ कर देते है। इसके अतरिक्त दोपहिया व चौपहिया वाहनों से तामिया के मार्ग से भी कुआंबादला होते हुए भूरा भगत सांगाखेड़ा पहुंचा जा सकता है। तेजी से बदले इस दौर में अब कई चौपहिया वाहनचालक तामिया से झिरपा, मटकुली के रास्ते पचमढ़ी पहुंचकर भी चौरागढ़ पहुंचते है। लेकिन यह सत्य है कि पहली पायरी से प्रारंभ होने वाले पैदल मार्ग पर शिवभक्तों को कई रमणीय, धार्मिक, दार्शनिक व पर्यटन स्थल भी देखने को मिल जाते है जो उनका मन मोह लेते है।