छिंदवाड़ा की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं है। एक के बाद एक कई कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी छोड़ देंगे तो छिंदवाड़ा में कमलनाथ और नकुलनाथ अकेले रह जाएंगे। छिंदवाड़ा की राजनीति के जानकार बताते हैं कि कांग्रेसियों में नकुलनाथ के व्यवहार से असंतोष है। इससे पांच सौ से ज्यादा कांग्रेसी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। 21 फरवरी को सीएम के सामने पांढुर्ना नपा अध्यक्ष समेत 55 कांग्रेसियों ने कांग्रेस छोड़ी। फिर नगर निगम के सात पार्षद भाजपा में आए। सबसे बड़ी टूट पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना का इस्तीफा रहा। उनके पुत्र अजय भाजपा में शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक अजय का भी कहना है कि नकुलनाथ का व्यवहार अपने लोगों के प्रति ठीक नहीं है।
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कमलेश ने कहा कि नकुलनाथ आदिवासियों, जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं का अपमान कर रहे हैं। कांग्रेस में रहकर अमरवाड़ा का विकास करना संभव नहीं रह गया। वे डबल इंजन की सरकार के साथ क्षेत्र का विकास करने और आदिवासी समाज की समस्याओं के निराकरण करने भाजपा में शामिल हुए हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने चौरई, परासिया, पांढुर्ना और सौंसर विस से जीत हासिल कर ली, पर जुन्नारदेव, अमरवाड़ा और छिंदवाड़ा विस क्षेत्र में कांग्रेस भारी मतों से हारी। इस चुनाव में कांग्रेस के नकुल विजयी हुए। कमलेश की प्रतिष्ठा के चलते अमरवाड़ा में नकुल ने सबसे ज्यादा 22256 वोट की लीड ली। इससे कमतर लीड 15 हजार छिंदवाड़ा से थी।
कमलेश शाह अमरवाड़ा की हर्रई तहसील के पूर्व राज परिवार से जुड़े हुए हैं। पिता उग्रप्रताप शाह और दादा राजा रहे। कमलेश 2013, 2018 और 2023 के विस चुनाव में कांग्रेस से विधायक चुने पूर्व राज परिवार की वजह से क्षेत्रीय आदिवासियों में खासा दखल है। भाजपा भले यहां दूसरे स्थान पर और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तीसरे स्थान पर रही।
माधवी शाह 2016 में नगर पंचायत हर्रई की अध्यक्ष थीं, तब उन पर 20 लाख की आर्थिक धोखाधड़ी का आरोप लगा। तत्कालीन सीएमओ राजेंद्र सिंह ने केस दर्ज कराया। जांच में सामने आया कि निर्माण कंपनी के खाते में 7 लाख की जगह 27 लाख जमा कराए। माधवी, घनश्याम यादव, राहुल यादव, राजेंद्र सिंह को आरोपी बनाया, पर गिरतारी नहीं हुई। मामलाराजनीतिक दबाव में ठंडे बस्ते में चला गया।