हर तरफ अव्यवस्था
कुसमेली मंडी में जो किसान अपनी उपज लेकर मंडी को खासा कमाई करवाता है, उसे ही मंडी में समुचित व्यवस्थाएं नहीं मिलती। खाने-पीने से लेकर सुलभ शौचालय, विश्राम एवं बैंक तक की असुविधा रहती है। उस पर भी अघोषित रूप से किसान को भुगतान के समय अपनी मेहनत की कमाई से 10 रुपए बोरी अलग से कटवाने पड़ते हैं। मंडी में कहने के लिए कैंटीन तो है, लेकिन वहां तय मेनू की जगह समोसा दिया जाता है। सुबह से लेकर रात नौ बजे तक खाना भी उपलब्ध नहीं होता है। टंकी के पास स्थित सुलभ शौचालय की सफाई तो करना दूर, मंडी प्रबंधन पिछले एक माह से उसका ताला खोलना भी भूल चुका है। अब प्रवेश द्वार तक पहुंचने के लिए कम से कम 50 फीट झाडिय़ों से होकर गुजरना पड़ता है। तुलावटी प्रतिनिधि सुनील डेहरिया ने बताया कि झाडिय़ों के कारण सुलभ शौचालय तक जाने पर जहरीले जीवों से भी काफी खतरा है।फिर बढ़ सकती हैं चोरियां
मंडी में सुरक्षा के लिए किए गए प्रबंध भी आधे अधूरे हैं। मक्का का सीजन शुरू होते ही चोरी की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं। मंडी ने सभी हम्मालों के लिए न तो पंजीयन की व्यवस्थाएं की और न ही मंडी की बाउंड्री को बनाने के लिए निर्माण की गति बढ़ाई। समय सीमा दिसंबर होने के कारण अभी भी गति काफी मंद है। वहीं सुरक्षा गार्डों के लिए भी कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए। लंबे समय से व्यापारियों की मांग को भी अनसुना किया जा रहा है।अब तक जारी नहीं किया शेड्यूल
कृषि उपज मंडी प्रबंधन हर साल किसानों की आवक को नियंत्रित रखने के लिए शेड्यूल जारी करता है। उसका प्रसार प्रसार करवाता है, लेकिन अभी तक उनके प्रवेश से लेकर निकासी तक की व्यवस्था सहित उनके लिए समय जारी नहीं किया। इससे आवक बढऩे पर अफरा-तफरी का माहौल बन सकता है।सुरेश कुमार परते, सचिव कृषि उपज मंडी कुसमेली