छिंदवाड़ा

Tribal: सभी के हिस्से में अच्छे दिन, इनके हिस्से में बेबसी

– एक माह बाद बाजार में आ जाएगा महुआ पांच साल से नहीं बढ़ाया समर्थन मूल्य- वर्ष 2019 में तय किए थे 32 लघु वनोपज के दाम, सरकार ने अब तक नहीं ली आदिवासी हितों की सुध – अधिकांश लघु वनोपज की नहीं हो रही सरकारी खरीद

छिंदवाड़ाFeb 29, 2024 / 12:28 pm

prabha shankar

minor forest produce

छिंदवाड़ा। एक माह बाद अप्रैल माह में महुआ के फूल जंगलों से बाजार में आने लगेंगे। प्रदेश सरकार ने महुआ समेत 32 लघु वनोपज का समर्थन मूल्य पांच साल से नहीं बढ़ाया है। जिससे वनवासियों को उचित दाम मिलने की उम्मीद धूमिल हो रही है। इस स्थिति में गर्मी के सीजन में भी इस वर्ग को बिचौलियों के हाथों कम दामों में वनोपज बेचने मजबूर होना पड़ेगा। इस वर्ष प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव के संकल्प पत्र के अनुरूप तेन्दुपत्ता संग्राहकों के पारिश्रमिक में एक हजार रुपए की वृद्धि कर दी है। इससे उन्हें 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा की मजदूरी मिल जाएगी। दूसरे लघु वनोपज महुआ, आंवला, जामुन गुठली, हर्रा, बहेड़ा,नीम बीज समेत अन्य वनोपज के संग्राहक जरूर निराश है।

बिचौलियों के हाथों में 99 प्रतिशत व्यापार
पूरे जिले में लघु वनोपजों का 99 प्रतिशत व्यापार बिचौलियों के हाथों में हैं। वे वनवासियों से अत्यंत कम मूल्य पर वनोपज खरीदते हैं। इससे कभी भी इन लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर नहीं रही है। कीमती वन संपदा होने पर भी गरीब बने हुए हैं।

छिंदवाड़ा में 53 वानिकी प्रजातियां मौजूद
जैव विविधता बोर्ड के अनुसान जिले के 11,815 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में 3.51 लाख हेक्टेयर यानि 29.73 प्रतिशत हिस्से में जंगल है। इनमें 53 वानिकी प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से 32 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया गया था।

ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर बेचेंगे वनोपज
वन अधिकारियों का कहना है कि लघु वनोपज को बिचौलिए से बचाने अब उसकी मार्केटिंग ई-कामर्स प्लेटफार्म पर बनाने की कार्ययोजना बनाई गई है। यहां की आचार- चिरौंजी, शहद, आंवला, हर्रा, बहेड़ा, महुआ, अर्जुन, कोदो, कुटकी, ज्वार, मक्का और उनके सहउत्पाद हाल ही भोपाल के अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में भेजे गए थे। अब ये वन उत्पाद अब शीघ्र ही ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध होंगे। इससे वनवासियों की कम दाम की शिकायतों को दूर किया जा सकेगा।

वर्ष 2019 में तय किए गए थे समर्थन मूल्य
वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2019 में 32 लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य तय किए गए थे। उसके अनुरूप ही खरीदी होना था। इसके लिए वन विभाग की ओर से 24 अपनी दुकानों का निर्माण किया गया था। ये दुकानें कुछ स्थानों पर ही चल सकी।

इनका कहना है
तेन्दुपत्ता संग्रहण में अब चार हजार रुपए मानक बोरा की मजदूरी के आदेश आ गए हैं। इसका लाभ मई 2024 में होने वाले तेन्दुपत्ता संग्रहण में मजदूरों को मिलेगा। इससे लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य के आदेश का इंतजार हैं।
ब्रिजेन्द्र श्रीवास्तव, डीएफओ पूर्व वनमण्डल

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