अब तक पूर्व मंत्री सक्सेना के एकतरफा कांग्रेस पक्ष में चुनाव प्रचार में उतरने से उनके गृह ग्राम रोहना के एकमुश्त वोट कांग्रेस को ही मिलते थे। भाजपा बहुत कम वोट पाती थी। यहीं हाल सक्सेना के प्रभाव वाले छिंदवाड़ा विधानसभा के दूसरे गांवों का था, जहां भी कांग्रेस के वोट उनके इशारे से ही तय होते थे। इधर, बड़ा बेटा जय कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ के साथ प्रचार में हैं। उन्होंने जरूर अपने पिता की कांग्रेसी विरासत को आगे बढ़ाने का झण्डा थामा है। फिलहाल सक्सेना परिवार की सियासत दो राह पर दिख रही है, जहां पहले अकेले कमल नाथ – नकुल नाथ का जय – जयकार होता था, अब भाजपा के बंटी साहू का नाम भी जुड़ गया है।
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लोकसभा चुनाव के नतीजे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि उनके गृह ग्राम रोहना समेत समर्थक गांवों के एकमुश्त कांग्रेस वोट का विभाजन किस तरह से होता है। जिसमें अजय के दखल से भाजपा की भागीदारी कितनी प्रतिशत बढ़ पाती है। राजनीति के इस शक्ति केन्द्र में होने वाले परिवर्तन पर पूरे जिले की निगाहें टिकनी शुरु हो गई हैं।
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लोकसभा चुनाव 2024 उनके परिवार और समर्थकों के लिए काफी पेचीदा है। इस चुनाव से पहले दीपक सक्सेना कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। छोटा बेटा अजय भाजपा की सदस्यता ले चुका है। भाजपा उनके पिता की वजह से खास तवज्जो दे रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा तक उनके घर पर पहुंच चुके हैं। अजय को भाजपा के बंटी साहू को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जिम्मेदारी भी सौंपी है। दोनों नेताओं ने अप्रत्यक्ष रूप से रोहना में भाजपा के दखल का संदेश तो दिया है, जहां कभी भाजपा के झंडे लगाना भी एक तरह से अपराध माना जाता था।