वे मेडिकल कॉलेज में एमपी पेडीकोन द्वारा शनिवार से शुरू दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में बच्चों की बीमारियों पर हो रहे विचार-विमर्श में शामिल होने आए हैं। इस कॉन्फ्रेंस में देश के 250 शिशु रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। डॉ. बोधनकर ने बातचीत में कहा कि कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट पहली बार नौ नवम्बर को अफ्रीका में देखा गया है। तब से अब तक15 देश में फैला है। इसकी संक्रमण की दर 32 गुना तेज है। उन्होंने बताया कि पिछले डेल्टा वैरिएंट में एक व्यक्ति पांच को संक्रमित कर सकता था तो वहीं ओमिक्रॉन में यह संख्या 40 हो सकती है।
सतर्कता ही बचाव है
डॉक्टर ने कहा कि जिन्होंने कोरोना वैक्सीन ली भी है तो ओमिक्रॉन में सुरक्षा संदेहास्पद है। ऐसे में सतर्कता ही बचाव है। इस पर डब्ल्यूएचओ से चर्चा हुई है। हालांकि भारत में एक भी मरीज सीरियस नहीं हुआ ऑक्सीजन लेवल कम नहीं हुआ, सुस्तपन का लक्षण है। अब तक घातक नहीं पाया गया। बच्चे और बड़े लोग सुरक्षित रहेंगे।
बच्चों का टीका नहीं आया तो कैसे रहें स्वस्थ
डॉ. बोधनकर ने बच्चों में टीका नहीं आने की स्थिति में सुरक्षित और इम्युनिटी बढ़ाने के सवाल पर कहा कि बच्चों घरेलू संतुलित आहार, विटामिन, अंकुरित अनाज, दाल, चावल, खिचड़ी दिया जाना चाहिए। जंक फूड कोल्ड ड्रिंक, चाकलेट और बाहर के फूड से दूर रखना है। योगा प्राणायाम, सूर्य नमस्कार और व्यायाम करने का दोगुना लाभ होगा। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में जब बच्चे घर में रहे तो उन्हें डायरिया, टाइफाइड जैसी बीमारी भी नहीं हुई। उन्हें भीड़भाड़ वाले इलाके बस स्टैण्ड, सिनेमा हाल, बाजार से बचाना चाहिए। उनके लिए कोरोना खतरनाक हो सकता है।
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बुखार, सर्दी और खांसी में चितित न हो अभिभावक
डॉक्टर बोधनकर ने फीवर, सर्दी जुकाम, खांसी के लक्षण पर पैरेंट की चिंता पर कहा कि यह कोई कोरोना का लक्षण नहीं है। यह ठंडा, खट्टा खाने से हो जाता है। कुनकुना पानी अदरक, तुलसी पत्ती के सेवन जैसे घरेलू उपाय से ठीक हो सकता है। जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाया और वे घर में संक्रमण फैलाते हैं तो उनके प्रभाव से बच्चों को खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेसिंग और मास्क के नियम का पालन होना चाहिए। टीचर, बस ड्राइवर वैक्सीनेटेड होना चाहिए।
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जन्म के बाद शिशु का एक मिनट गोल्डन टाइम
पूर्व सिविल सर्जन और कॉंफ्रेंस के चेयर पर्सन डॉ. सुशील राठी ने कहा कि जन्म के बाद शिशु का एक मिनट जीवितता के लिए गोल्डन टाइम होता है। इससे 40 चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया है। इस पर पूरे जिले में काम होगा। उन्होंने कांफ्रेस को शिशु बाल मृत्युदर कम करने की दिशा में बेहतर बताया।