साइबर तहसील… इस वजह से शहरी प्लॉट धारक हो रहे परेशान…जानिए
-अभी भी पटवारी की रिपोर्ट के लिए चक्कर लगाना मजबूरी, सिस्टम अपडेट कराना जरूरी
छिंदवाड़ा.रजिस्ट्री ऑफिस में संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर के लागू हो जाने के बाद कृषि भूमि के साथ शहरी प्लॉट भी साइबर तहसील के दायरे में आ गया है। फिर भी संचालन में आ रही तकनीकी खराबी कहीं न कहीं बाधा बन रही है। इसके चलते आज भी नामांतरण के लिए पटवारी की रिपोर्ट लगाने खरीददारों को चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी साइबर तहसील योजना को रजिस्ट्री विभाग में लागू संपदा 2.0 से जोड़ा गया है। इससे कृषि भूमि के साथ शहरी प्लॉट का भी ऑनलाइन नामांतरण संभव बनाया गया है। इस प्रक्रिया में रजिस्ट्री के बाद नामांतरण करने अलग से आवेदन करने और खरीददार और विक्रेता को तहसील कार्यालय में जाने या पेशी देने की ज़रूरत नहीं है। आम तौर पर रजिस्ट्री विभाग से नामांतरण का आवेदन ऑनलाइन साइबर तहसील में पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। इसके बाद भी कहीं न कहीं इस सिस्टम के संचालन में परेशानी आ रही है। बार-बार तकनीकी खराबी से तहसील साइबर बंद होने से मजबूरी में खरीददार को पुरानी ऑफ पद्धति से नामांतरण का आवेदन करना पड़ता है।
तहसील कार्यालय सूत्रों के मुताबिक शहरी प्लॉट, मकान समेत अन्य संपत्तियों को खरीदनेवाले लोग मजबूरी में नामांतरण कराने तहसील कार्यालय या फिर लोकसेवा केन्द्र पहुंच रहे है। कारण साइबर तहसील के सर्वर बंद होने या फिर तकनीकी खराबी बताई जा रही है। ये एक बड़ी समस्या बन रही है।
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लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से 45 दिन
लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से नामांतरण का आवेदन करो तो उसके निराकरण में 45 दिन लग जाते है। इस दौरान तहसील कार्यालय की पेशी में भी जाना पड़ता र्है। इस दौरान खरीददार और विक्रेता की पहचान का पुराना तरीका कायम है। पटवारी की रिपोर्ट अलग संलग्र करनी पड़ती है। इसमें काफी समय का व्यय हो जाता है। सरकार की सीधे नामांतरण सेवा दिए जाने की मंशा भी पूरी नहीं हो पा रही है।
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साइबर तहसील में पांच प्लॉट के मामले फंसे
साइबर तहसील में शहरी क्षेत्र के पांच प्लॉट के मामले फंसे हुए है। इसका निराकरण नहीं हो पाया है। जमीन के खरीददार और विक्रेता कह रहे हैं कि साइबर तहसील के भोपाल में बैठे अधिकारियों को इस मुद्दे को हल करना चाहिए। ये व्यवस्था अच्छी है। सिर्फ इसके संचालन में सुधार और सिस्टम के सहीं चलने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
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इनका कहना है…
रजिस्ट्री विभाग के सॉफ्टवेयर को साइबर तहसील से जोड़ा गया है। इसके बाद कृषि भूमि के साथ शहरी प्लॉट के नामांतरण आवेदन साइबर तहसील में जाने की व्यवस्था की गई है। इसका संचालन किया जा रहा है।
-धर्मेन्द्र चौकसे, तहसीलदार छिंदवाड़ा शहर।
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