चिकित्सा शिक्षा संचालनालय और डॉ. तकी रजा के बीच उपजे तनाव का असर भी छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज पर पड़ा। बताया जाता है कि डॉ. रजा छिंदवाड़ा की चिकित्सा फैकल्टी को प्रतिनियुक्ति पर खंडवा-रतलाम नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन सरकार की मंशा के अनुरूप वह खरे नहीं उतर पारहे थे। इसलिए विभाग ने डॉ. रजा को आर्थो विभाग का प्रमुख बनाकर रतलाम भेज दिया। वहीं सख्त निर्देशों की वजह से फैकल्टी को भी जाना पड़ा।
प्रदेश सरकार छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज की जानबूझकर उपेक्षा कर रही है। उन्हें लगता है कि कमलनाथ इसका श्रेय ले लेंगे। इसीलिए प्रदेश सरकार ओछी राजनीति कर रही है। जब अन्य कॉलेजों के साथ-साथ छिंदवाड़ा को स्वीकृति मिली तो मान्यता मामले में दूजा व्यवहार क्यों अपनाया जा रहा है। जबकि निर्माण स्तर मानकों के आधार पर पूरा हो चुका है। जिले की गरीब और जरूरतमंद जनता के साथ प्रदेश सरकार धोखा कर रही है।
गंगा प्रसाद तिवारी, जिलाअध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी छिंदवाड़ा।
मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग समेत अन्य अधोसंरचना का काम शेष रह गया है। इसी वजह से एमसीआई की टीम को आने में देरी हो रही है। इनके पूर्ण होते ही टीम आएगी और संचालन की मंजूरी मिलेगी। इस मामले में मुख्यमंत्री से चर्चा हुई है।
चौधरी चंद्रभान सिंह, विधायक छिंदवाड़ा