इन क्षेत्रों में कम हो गई संख्या जिले में बिछुआ, चौरई और जामई तीन परियोजनाएं ऐसी हंै जहां एक साल में लाभार्थी बच्चे कम हो गए। बिछुआ में 2018 में 3299 बच्चे लाभार्थी बताए गए जबकि 2019 में अप्रैल के महीने तक संख्या गिरकर 3274 रह गई। इसी तरह चौरई में भी 2018 के 5818 की तुलना में एक साल में लाभ लेने वाले बच्चों की संख्या गिरकर 5769 पर आ गई। जामई-2 परियोजना में तो सबसे ज्यादा 500 बच्चों का फर्क दिख रहा है। 2018 के 5705 बच्चों की तुलना में यहां 2019 में संख्या घटकर 5200 पर आ गई।
एक कमरे में चल रहे हैं केंद्र सरकार अपना एक बहुत बड़ा बजट महिलाओं, बच्चों के स्वास्थ्य पर खर्च करती है। उसमें से स्वास्थ्य, पोषण को लेकर ज्यादातर योजनाओं का क्रियान्वयन तो आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए ही होता है। बावजूद इसके आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थितियां बेहतर नहीं हैं। ज्यादातर केंद्र किराए पर चल रहे हैं। शहर में तो ज्यादातर भवन एक कमरे में चल रहे हैं वहां न तो बाथरूम हैं न बच्चों के खेलने की पर्याप्त जगह। आंगनबाड़ी केंद्रों को किराया भी समय पर नहीं मिल पा रहा। बावजूद इसके वर्ष तक की गतिविधियोंं में यहां की कार्यकर्ता-सहायिकाएं संलग्न रहतीं हैं।