शहर में बारिश के पहले नगरपालिका ने नालों की सफाई नहीं की है। शहर में करीब आधा दर्जन बड़े और दो दर्जन से ज्यादा छोटे सरकारी नाले हैं। तालाबों के ओने से जुड़े नाले और तालाबों के कैचमेंट एरिया से जुड़े सभी बड़े नाले इन दिनों गंदगी से भरे हैं। पॉलीथिन, डिस्पोजल, प्लास्टिक सहित नष्ट नहीं होने वाले कचरे से पटे नाले-नालियों के कारण अधिकांश नाला चोक हैं। बारिश होने पर इन नालों से पानी का बहाव फिलहाल नहीं हो रहा है। लेकिन जैसे ही बारिश होगी तो नालों का पूरा कचरा शहर के तालाबों और नदी में भरेगा। ऐसे में जल स्त्रोत भी दूषित होंगे।
नालों पर कब्जा है इसलिए नहीं हो पाती सफाई
शहर के अधिकांश सरकारी नालों पर पक्के निर्माण हो जाने के कारण उनकी गंदगी साफ नहीं हो पा रही है। हालांकि नगरपालिका के पास सफाई के लिए पर्याप्त संसाधन और मशीनरी है, लेकिन सफाई अमले की उदासीनता के कारण समय रहते इस काम को नहीं किया जा रहा है। शहर के सटई रोड, पन्ना रोड, गल्ला मंडी, मऊ दरवाजा, बसारी दरवाजा, सागर रोड, बस स्टैंड सहित सभी प्रमुख क्षेत्रों के नालों पर अतिक्रमण लगातार होता जा रहा है। जो खुला हुआ नाला है वह गंदगी से भरा पड़ा है।
नालों को साफ करके साफ पानी पहुंचाया जा सकता है तालाबों में
शहर के तालाबों की वर्षो से सफाई कर रहे संगठनों के प्रमुख डीडी तिवारी, प्रदीप सेन, शंकर सोनी, केएन सोमन, बालमुकुंद पौराणिक आदि का कहना है कि नालों की सफाई अगर बारिश के पहले हो जाती है तो सभी तालाबों में साफ पानी भरेगा। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी ऐसा ही होता था। बारिश के पहले नालों को साफ करा दिया जाता था। पहली बारिश होने पर भी कचरा तालाबों में नहीं जाता था। ऐसे में जल स्त्रोत गंदे नहीं हेाते थे। लेकिन अगर इस बार नालों को साफ नहीं किया गया तो सभी जल स्त्रोत गंदे होंगे।