आपको बता दें कि, सिटी कोतवाली पुलिस पर नाबालिग लड़की को थाने में 2 दिनों तक बैठाकर रखने, उसके साथ महिला पुलिसकर्मियों द्वारा मारपीट करने के साथ साथ थाना प्रभारी पर रेप केस की शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने का आरोप था। इसकी शिकायत न्यायपीठ बाल कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा कलेक्टर से की गई। साथ ही, जांच कर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई। मामले को कलेक्टर द्वारा गंभीरता से लेते हुए अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में एक जांच टीम गठित की थी।
दो दिन बाद घर लौटी नाबालिग ने परिवार को बताया
बताया जा रहा है कि, शहर की एक नाबालिग अपने घर से बीते 28 अगस्त को गायब हो गई थी। इसकी शिकायत परिजन द्वारा सिटी कोतवाली थाने में की गई थी। इसपर पुलिस ने गुमशुदगी का केस दर्ज किया था। हालांकि, बालिका दो दिन बाद घर लौट आई थी। घर लौटकर लड़की ने बताया कि, उसका अपहरण करने वालों ने उसके साथ रेप किया है। इसपर परिवार के लोग उसे लेकर केस दर्ज कराने थाने पहुंचे। यहां पीड़ित ने पुलिस को दिये शिकायती आवेदन में कहा कि, उसका अपहरण कर रेप किया गया गया है।
अपहरण का केस दर्ज नहीं कर रही थी पुलिस
पीड़िता का आरोप है कि, शिकायत करने पर पुलिस द्वारा रेप केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन अपहरण का केस दर्ज नहीं किया। इसपर पीड़ित परिवार ने आपत्ति जताई तो सिटी कोतवाली पुलिस में मौजूद महिला पुलिसकर्मियों ने नाबालिग को दो दिनों तक थाने में बैठा लिया। इस दौरान उसपर केस वापस लेने का दबाव बनाया। पुलिस की बात न मानने पर उन्होंने लड़की के साथ मारपीट भी की। यहीं नहीं पीड़िता ने ये भी आरोप लगाया कि, पुलिस मामले को रफा-दफा करने के लिए आरोपी को पीड़िता के घर ले गई। वहां भी पुलिस ने मामला शांत कराने का दबाव बनाया गया। इस सब के बाद पीड़िता और उसके परिवार ने मामले की शिकायत न्याय पीठ बाल कल्याण समिति से की।
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कलेक्टर की जांच में भी सामने आई पुलिस डिपार्टमेंट की लापरवाही
न्याय पीठ बाल कल्याण समिति से शिकायत के बाद मामले ने तूल पकड़ा। इसपर पहले तो न्याय पीठ बाल कल्याण समिति ने मामले की अपने स्तर पर जांच की। पीड़िता के आरोपों की पुष्टि होने पर समिति की ओर से ही इसकी लिखित शिकायत कलेक्टर से की गई। इसपर कलेक्टर संदीप जीआर ने मामले की जांच के लिए अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में एक टीम गठित की। वहीं, अपर कलेक्टर की टीम ने भी मामले में सिटी कोतावाली में पदस्थ संबंधित पुलिस अफसर और कर्मियों को मामले में लापरवाही बरतने का जिम्मेदार पाया। इसके बाद एसपी सचिन शर्मा ने संबंधित के खिलाफ निलंबन कार्रवाई की है।
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