छतरपुर। सहकारिता में हुए करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का मामला सामने आने पर जांच बैठा दी गई है। जांच में अब कई और चेहरे सामने आ सकते हैं। इसके लिए जहां भोपाल से जांच के लिए टीम छतरपुर भेजी गई है। तो वहीं छतरपुर की जिला स्तरीय जांच समिति भी गठित की गई है। पत्र लिखे जाने के बाद भी जिला स्तरीय जांच समिति को जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। जिससे जिला स्तरीय जांच समिति की जांच प्रभावित हो रही है।
जिला पर गठित की गई जांच टीम में वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक आरके शर्मा, सहकारिता निरीक्षक एनएस अग्रवाल, सहकारिता निरीक्षक आरएन सिंह, जगदीश गुप्ता व जीतेंद्र को शामिल किया गया है। जांच समिति द्वारा रिकार्ड एकत्रित करने में जुटा है। हालांकि रिकार्ड एकत्रित करने में जांच टीम को सफलता नहीं मिल पा रही है। जांच दल ने बताया कि घोटाले की जांच के लिए ब्रांच, मुख्यालय व समितियों से रिकार्ड के दस्तावेज मुहैया कराने के लिए कहा गया था। जिसमें अभी तक मुख्यालय से ही कुछ दस्तावेज हासिल हुए। इन्हीें के आधार पर जांच की जा रही है। वहीं ब्रांच व समितियों से बार-बार पत्र लिखे जाने के बाद भी मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। जिससे जांच प्रभावित हो रही है। स्थानीय स्तर की जांच समिति को यह बात पता करना है कि किसान किसान के नाम पर कितना घोटाला किया गया है। बावजूद इसके अभी तक पूरे दस्तावेज नहीं मिल सके। जांच टीम का कहना है कि फिलहाल ८८ किसानों के खातों को प्राथमिकता के साथ खंगाला जाएगा। घोटाले में जो भी दोषी होगा वह लपेटे में आएगा। जांच पूरी होने के बाद इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी। वहीं बड़ामलहरा सहकारिता बैंक में भी भोपाल से आई टीम द्वारा जांच पड़ताल जा रही है। जिसमें सहायक प्रबंधक भोपाल आरके श्रीवास्तव, ओएसडी भोपाल कमल कमाश्रे, विवेक मलिक भोपाल, उपायुक्त सहकारिता मुख्यालय शिवेंद्र देव पांडे द्वारा घोटाले की जांच की जा रही है। जांच का सिलसिला १८ जनवरी तक चलेगा।
जांच में कई और चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
अन्नदाता के नाम पर फिर घोटाला गौरतलब हो कि जिला सहकारी बैंक के द्वारा 113 समितियां जिले में संचालित हो रही हैं। इन समितियों में वर्षों से समिति प्रबंधक जमे हैं। कृषकों के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है। कृषक समिति के सदस्य होते हैं और इनको लोन देना और इनसे वसूली करना समिति का
काम है। कृषकों की सदस्य संख्या बढ़ाना और उन्हें समय पर लोन देना भी समिति पर निर्भर करता है। समिति प्रबंधकों ने जो राशि कृषकों के नाम से निकाली उसकी जांच स्थानीय स्तर पर भी की जा रही है। साथ ही भोपाल से भी सहकारिता आयुक्त रेनूपंत द्वारा सहकारिता मंत्री के निर्देश पर जांच दल भेजा गया है। यह कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट कमिश्नर सहकारिता को देगी। साथ ही कलेक्टर के निर्देश पर जो जांच कमेटी गठित की गई है वह एक सप्ताह के अंदर कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपेगी। उधर बताया जा रहा है कि समितियों को तीन लाख से अधिक ऋण बांटने का अधिकार नहीं हैं इसके बाद भी किसानों के १० से १५ लाख रुपए तक का ऋण किसानों के खातों में डाला गया। जिन किसानों के खातों में १० से १५ लाख रुपए तक का ऋण भेजा गया उन किसानों की संख्या फिलहाल ८८ बताई जा रही है।
यह है मामला 23 नवंबर 2017 को समिति प्रबंधकों की समीक्षा बैठक के दौरान बीरो समिति, डिकौली समिति व सेंदपा समिति में घोटाले का खुलासा सामने आया था। 11 दिसंबर 2017 को लेखापाल रामविशाल पटैरिया ने समिति में हुए घोटाले की लिस्ट महाप्रबंधक बाईके सिंह को सौंपी थी। बीरो समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी ने साढ़े 5 करोड, डिकौली हरिओम अग्निहेत्री ने एक करोड़, सेंदपा जाहर सिंह द्वारा एक करोड़ का घोटाला किए जाने की बात सामने आ रही है। लिमिट से ज्यादा शाखा प्रबध्ंाक ने किसानों के खाते में पैसे डाले थे। अभी तक ११ करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया। इस मामले में 30 दिसंबर को बड़ामलहरा शाखा प्रबंधक स्वामी प्रसाद व कैशियर कृष्णपाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में महाप्रबंधक को भी भोपाल अटैच किया गया। साथ ही छतरपुर में पदस्थ लेखापाल रामविशाल पटैरिया को भी निलंबित कर दिया गया। बीरो समिति में साढ़े 5 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ था। समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी ने 2 करोड़ 32 लाख पहले जमा कर दिया था। वहीं शुक्रवार को 35 लाख रुपए जमा किए गए थे।
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