पिता से मिली समाजसेवा की प्रेरणा
तृप्ति के पिता स्वर्गीय मुन्ना कठैल नौगांव नगर में ज्वेलरी की दुकान चलाते थे। तृप्ति ने बचपन से देखा कि पिता जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा हाथ बढाते थे। लेकिन वर्ष 2008 में पिता का 59 साल की उम्र में असमय निधन हो गया। पिता के जाने के बाद कठैल ने अपने परिवार को संभाला और पिता से मिली समाजसेवा की सीख को लेकर आगे बढ़ी।
2013 में सबसे पहले तीन बेटियों को लिया गोद
नौगांव के धर्मपुरा गांव निवासी मजदूर दंपति गर्रोली में धसान नदी से ट्रैक्टर में रेत भरने का काम करते थे। 2013 में ट्रैक्टर पलटने से दोनों की असमय मौत हो गई। मजदूर दंपति की तीन बेटियों के अनाथ होने की खबर तृप्ति को लगी तो उन्होंने तीनों बेटियों को गोद ले लिया। उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठाने लगी और उनकी शादी के लिए 10-10 हजार की एफडी भी कराई। उसके बाद अनाथ बेटियों का सहारा बनने का सिलसिला शुरु हुआ जो आज भी जारी है। तृप्ति अबतक 103 अनाथ बेटियों को गोद ले चुकी हैं। समाजसेवा का ये काम अभी भी जारी है।
डेगूं से अनाथ हो गए तीन बच्चों को भी दिया सहारा
ग्राम इमलिया में रहनेवाला प्रेमलाल कुशवाहा अपनी पत्नी मुन्नी कुशवाहा के साथ मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता था। वर्ष 2021 में दोनों पति पत्नी को बुखार की शिकायत हुई और जांच कराने पर डेंगू पाया गया। 31 अक्टूवर को पत्नी मुन्नी कुशवाहा व 1 नबम्बर को पति प्रेमलाल ने झांसी में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। प्रेमलाल और उसकी पत्नी की मौत के बाद उसकी तीन बच्चियां व दो बच्चे अनाथ हो गए। इसकी खबर लगते ही नगर की समाजसेविका त्रप्ति कठेल ने प्रेमलाल की तीनो बच्चियों को गोद लेने की जिम्मेदारी ली और गांव पहुंच कर पीडि़त परिवार को गर्म कपडे सहित आर्थिक सहायता भेंट की। प्रेमलाल की 19 वर्षीय बड़ी बेटी बीए फायनल कर चुकी है, जिसकी शादी और रेखा 16 वर्ष, रोली 9 वर्ष की पढाई से लेकर शादी तक की जिम्मेदारी निभा रही हैं।
निर्धन कन्याओं के विवाह में भी करती है मदद
कठैल नौगांव नगर के अलावा आसपास के क्षेत्र की अनाथ निर्धन कन्याओं की शादी में भी मदद के लिए हाथ बढ़ाती हैं। नगर रके कुछ लोगों की मदद से वे निर्धन कन्याओं की शादी में मदद के साथ ही 11 निर्धन कन्याओं के सामूहिक विवाह की सारी जिम्मेदारी भी उठा चुकी है। पिता से मिली प्रेरणा के बल पर समाजसेवा में तृप्ति इतनी लीन हो गई की अपना घर तो नहीं बसाया लेकिन अनाथ बेटियों के जीवन को संवारने का काम आज भी जारी है।