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छतरपुर

सामुदायिक स्वास्थ केंद्र घुवारा नहीं आते डॉक्टर, मरीजों को जाना पड़ रहा छतरपुर-टीकमगढ़

हर घर में कोई न कोई बुखार से पीडि़त है। कई घरों में पूरा परिवार ही बुखार, खांसी व सर्दी-जुखाम से पीडि़त है। लेकिन बीमार लोगों को सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में इलाज नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि केंद्र में पदस्थ डॉक्टर सप्ताह में केवल एक दिन ही अस्पताल आते और उपस्थति पंजी पर हस्ताक्षर कर चले जाए हैं।

छतरपुरJul 21, 2024 / 11:07 am

Dharmendra Singh

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अस्पताल में नहीं आए डॉक्टर

घुवारा. लगातार उमस व गर्मी के कारण इन दिनों वायरल बुखार का सीजन चल रहा है। हर घर में कोई न कोई बुखार से पीडि़त है। कई घरों में पूरा परिवार ही बुखार, खांसी व सर्दी-जुखाम से पीडि़त है। लेकिन बीमार लोगों को सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में इलाज नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि केंद्र में पदस्थ डॉक्टर सप्ताह में केवल एक दिन ही अस्पताल आते और उपस्थति पंजी पर हस्ताक्षर कर चले जाए हैं।

छोटी-छोटी बीमारी के लिए जिला मुख्यालय तक की लगा रहे दौड़


घुवारा सामुदायिक स्वास्थ्य में केन्द्र अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं उपलब्ध कराने के लिए तमाम संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। लेकिन यहां डॉक्टर नदारत रहते है, जिससे मरीजों को इलाज के लिए बड़ामलहा, टीकमगढ़ और जिला अस्पताल सर्दी-खांसी और बुखार का इलाज कराने के लिए दौड़ लगानी पड़ रही है। अजय जैन ने बताया कि वे शनिवार को अस्पताल पहुंचे, तो पता चला कि अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर अरूणेंद्र शुक्ला अस्पताल आते ही नहीं है। मौके पर मौजूद स्टाफ ने बताया डॉक्टर सप्ताह में सिर्फ एक दिन आते है। इलाज कराना है तो किसी और अस्पताल चले जाइए। इसी तरह प्रकाश शुक्ला भी डॉक्टर अरूणेंद्र शुक्ला के इंतजार में बैठे रहे और बिना इलाज लौट गए। शांतिबाई डॉक्टर का इंतजार करते करते परेशान हो गई और फिर स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर से दबा लेना पड़ी।

छतरपुर में निजी क्लीनिक चला रहे डॉक्टर


जिला अस्पताल में पेशेंट से बदसलूकी के मामले में अक्सर सुर्खियों में रहने वाले डॉक्टर अरूणेंद्र शुक्ला का विवादों से पुराना नाता रहा है। जिला अस्पताल में मरीज के परिजनों को क भी डंडा मारते, तो कभी बदसलूकी करते हुए धक्का देते। मरीज व परिजनों को अपशब्द कहने के लिए भी डॉक्टर शुक्ला बदनाम है। जिन्हें बीते दिनों होमगार्ड के जवान से बदसलूकी करने के मामले में जिला अस्पताल से हटाया गया। जिसके बाद से बड़ामलहरा व घुवारा भेजे गए। लेकिन शुक्ला पदस्थापना स्थल पर जाते ही नहीं है। बल्कि छतरपुर जिला मुख्यालय पर नरसिंहगढ़ पुरवा में कलेक्टर बंगला के पीछे निजी क्लीनिक चला रहे हैं। जहां पूरे दिन डॉक्टर शुक्ला नजर आते हैं, लेकिन घुवारा में मरीजों के इलाज के लिए नहीं जाते हैं।

झोलाझाप डॉक्टरों के पास जाना मजबूरी


घुवारा सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में स्वास्थ्य सेवा बेपटरी हो चुकी हैं और लोगों को सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने से लोग को मजबूरन निजी क्लीनिकों और झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज कराने के लिए जाना पड़ रहा है। जिससे लोगों को खासी परेशानी हो रही है। स्वास्थ्य केंद्र दूर-दूर के गांव से इलाज कराने के लिए लोग आते है, इंतजार करते हैं। अंतत थक हार कर जिला मुख्यालय की दौड़ लगाते या फिर झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है। जिससे उनकी जान पर भी बन आती है।

इनका कहना है


यदि डॉक्टर नियमित रुप से अस्पताल नहीं आते हैं। तो इसकी जांच कराई जाएगी। गड़बड़ी मिलने पर निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. आरपी गुप्ता, सीएमएचओ

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