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छतरपुर

‘देशज’ समारोह में बुंदेली गायन व लोकनृत्य की प्रस्तुति ने जमाया रंग

छतरपुर. मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित ‘आदिवर्त’ जनजातीय लोककला रा’य संग्रहालय, खजुराहो में ‘देशज’ समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बुंदेली गायन और नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी गईं। यह कार्यक्रम प्रत्येक रविवार को आयोजित होता है, और अब नवम्बर 2024 से शनिवार को भी इसकी गतिविधियां बढ़ाई गई हैं।

छतरपुरNov 03, 2024 / 10:04 pm

Suryakant Pauranik

प्रस्तुति देते कलाकार

प्रस्तुति देते कलाकार

खजुराहो में आयोजित कार्यक्रम में संस्कार गीत की रही धूम

छतरपुर. मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित ‘आदिवर्त’ जनजातीय लोककला रा’य संग्रहालय, खजुराहो में ‘देशज’ समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बुंदेली गायन और नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी गईं। यह कार्यक्रम प्रत्येक रविवार को आयोजित होता है, और अब नवम्बर 2024 से शनिवार को भी इसकी गतिविधियां बढ़ाई गई हैं।
रविवार को खजुराहो में बुंदेली संस्कार गीत और भजनों की प्रस्तुति गंज छतरपुर के रामदयाल रजक और उनके साथियों द्वारा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्र’वलन और कलाकारों के स्वागत से हुई। कलाकारों ने बुंदेली लोकगीतों के माध्यम से क्षेत्रीय संस्कारों और परंपराओं को सजीव किया, जिससे दर्शक बुंदेली संस्कृति के रंग में रंग गए। इसके बाद विष्णुकान्त मिश्रा और उनके साथियों ने लवकुशनगर से आए पारंपरिक पाय डंडा लोकनृत्य की प्रस्तुति दी, जो बुंदेलखंड में दीवाली के अवसर पर किया जाने वाला विशेष नृत्य है। इस नृत्य में पुरुष कलाकार मोर पंख, घुंघरू, और कमर में पट्टा बांधकर प्रतिद्वंद्वी के सामने आते हैं और आंखों के इशारे पर डंडों से प्रहार करते हुए नृत्य करते हैं। इस अनोखे नृत्य ने दर्शकों को उत्सव के माहौल का अनुभव कराया और बुंदेली परंपरा की झलक दी।
आगामी प्रस्तुतियांं

‘देशज’ समारोह के अंतर्गत 09 नवंबर 2024 को भी बुंदेली संस्कृति की विशेष प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इस दिन छतरपुर के बृजलाल कुशवाहा और उनके साथी मातुगुआ बुंदेली संस्कार गीत प्रस्तुत करेंगे, वहीं सुश्री कमलेश कुमारी और उनके साथी छतरपुर से बुंदेली लोकगीतों की प्रस्तुति देंगे। इसके अतिरिक्त, खजुराहो के भगवान चरण द्विवेदी और उनके साथियों द्वारा बुंदेली लोकगीत प्रस्तुत किए जाएंगे।
नई पीढ़ी तक पहुंचा रहे कला

‘देशज’ समारोह का उद्देश्य बुंदेलखंड की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करते हुए नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। यह आयोजन क्षेत्रीय कला और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक विशेष मंच प्रदान करता है, जिसमें वे अपनी जड़ों से जुड़ सकते हैं और सांस्कृतिक धरोहर को सहेज सकते हैं।

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