दरअसल, 29 अक्टूबर को छतरपुर जिला पंचायत सभाकक्ष में जनसुनवाई चल रही थी। इस दौरान ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक केके तिवारी को किसी बात पर हंसी आ गई। फिर क्या था अपर कलेक्टर मिलिंद कुमार नागदेवे ने 30 अक्टूबर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, जिसके बाद प्रशासनिक अमला सहित प्रदेश में नोटिस हंसी का पात्र बन गया है।
नोटिस में ये लिखा है जनसुनवाई के दौरान आप हंसते हुए पाए गए हैं। आपका इस प्रकार का कृत्य शासकीय कर्तव्य निर्वहन के समय वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आपकी अनुशासनहीनता और कर्तव्य के प्रति आपकी उदासीनता एवं लापरवाही को दर्शाता है। आपका कृत्य मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 (एक), (दो), (तीन) के तहत गंभीर कदाचरण है। साथ ही मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण व अपील) नियम 1966 के नियम 10 के तहत दण्डनीय है। 4 नवंबर तक नोटिस का जवाब न देने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। हालांकि इस नोटिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लेकिन नोटिस हंसी का पात्र जरूर बन गया है।