मामला तिरुचेंदूरै गांव और उसके आसपास मंदिर की 369 एकड़ संपत्ति से जुड़ा है। वक्फ बोर्ड ने इस पर खुद का मालिकान बताया है। यह बात सामने ही नहीं आती अगर राजगोपाल नाम का किसान अपनी कृषि भूमि बेचने के लिए रजिस्ट्रार विभाग नहीं जाता।
ऐसा आया मामला सामने
राजगोपाल ने गांव में अपनी 1.2 एकड़ जमीन किसी अन्य व्यक्ति को बेचने की कोशिश की। वे रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचे तो उन्हें बताया कि जमीन उनकी नहीं बल्कि तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की है। अगर जमीन बेचनी है तो उनको बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। फिर राजगोपाल ने मीडियाकर्मियों को इस बारे में बताया कि उन्होंने रजिस्ट्रार से कहा कि उसने 1992 में यह जमीन खरीदी थी तब ऐसा कुछ नहीं कहा गया था।
पंजीयन विभाग को वक्फ बोर्ड का पत्र
राजगोपाल ने बकौल रजिस्ट्रार बताया कि तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने डीड्स विभाग को 250 पृष्ठीय पत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि तिरुचेंदुरै गांव में किसी भी तरह के जमीनी लेन-देन से पहले उससे एनओसी लेनी होगी। पत्र में पूरे गांव पर स्वामित्व का दावा हुआ है। वक्फ बोर्ड के निर्देश से अवगत स्थानीय लोग हैरान-परेशान हैं। गांव में लगभग सभी के नाम जमीन है।
कलक्टर ने की बैठक
इस मसले पर तिरुचि जिला कलक्टर ने कलेक्टर ने हिंदू धर्म और देवस्थान विभाग (एचआर एंड सीई) के प्रतिनिधियों, वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों, पुलिस और राजस्व अधिकारियों के साथ श्रीरंगम में एक बैठक की। बैठक में हुए निर्णय के तहत गांव में टाइटल डीड हमेशा की तरह रहेगा। तमिलनाडु रजिट्रेशन विभाग के महानिरीक्षक ने वक्फ बोर्ड के दावे पर मामले की आगे की जांच शुरू कर दी है।
गांव में हिन्दू आबादी
पूरा गांव एक हिंदू बहुल क्षेत्र है। वक्फ बोर्ड इस संपत्ति का मालिक कैसे हो सकता है? गांव में चंद्रशेखर स्वामी मंदिर के पास 3६9 एकड़ जमीन है और 1500 साल पुराना मंदिर है। क्या यह जमीन भी वक्फ की संपत्ति है?
बीजेपी तिरुचि जिला सचिव, अलूर प्रकाश