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चेन्नई

कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है

जीव हंसते-हंसते कर्म बांधता है, पर भोगते समय रोते-रोते भी छुटकारा नहीं मिलता। कर्म कर्ता का अनुसरण करता है।

चेन्नईDec 17, 2019 / 06:07 pm

MAGAN DARMOLA

कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है

कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है

चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा जो जैसा कर्म करता है उसे उसका फल आज नहीं तो कल, इस भव नहीं तो परभव, कभी न कभी अवश्य ही भुगतना पड़ता है। कर्मों के जाल से कोई बच नहीं पाया है । कर्म फल पर चिंतन करने से जीवन में परिवर्तन आता है एवं पाप प्रवृत्ति घटती है। चाहे राजा हो या रंक, साधु हो या संत कर्मों के हिसाब में रंच मात्र भी अंतर नहीं रहता।

जीव हंसते-हंसते कर्म बांधता है, पर भोगते समय रोते-रोते भी छुटकारा नहीं मिलता। कर्म कर्ता का अनुसरण करता है। जो पाप बांटते समय किसी की नहीं सुनता तो भोगते समय भी कोई उसकीेनहीं सुनता। कभी-कभी किए गए कर्मों का फल उसी भव में तुरंत मिल जाता है। कर्मफल के स्वरूप को हर व्यक्ति खुद अपने जीवन में प्रत्यक्ष अनुभव कर सकता है क्योंकि खुद से कोई बात छिपी हुई नहीं रहती।

जो अपने माता पिता की सेवा नहीं करते उनके जीवन में भी आगे उनके पुत्र उनकी सेवा नहीं करते। स्वयं के दुर्दशा का कारण दूसरा नहीं अपितु स्वयं ही बनता है। जो दूसरों का भला करता है, उसका स्वयं का भला होता है। जीवन का कोई भरोसा नहीं है। पाप का घड़ा कब फूट जाए पता नहीं। इसीलिए ज्यादा से ज्यादा धर्म आराधना करनी चाहिए।

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